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शुक्रवार, 15 मई 2015

गुरुदेव के भजन-300 (Gurudev Ke Bhajan 300)



तर्ज ----छुप गया कोई रे

दर तेरे आया बाबा दुनिया से हार के , शरण में ले लो मुझको भूलें विसार के

मै  हूँ अज्ञानी बाबा तुम ही सम्भालो
भटके हुओ को सीधी राहों पे डालो 
मोह से छुड़ा दो बाबा आया सब हार के  शरण में ले लो मुझको भूलें विसार के

तेरे सिवा बाबा मेरा दुनिया में कौन है 
जानते हो मेरे मन की फिर क्यों मौन है 
चिंता मिटा दो बाबा दर्द निवार के   शरण में ले लो मुझको भूलें विसार के

भटक रहा हूँ कबसे ठोकर खाऊ 
दीद का प्यासा कब दर्शन पाऊँ 
मुझको दीदार दे दो जीवन संवार के  शरण में ले लो मुझको भूलें विसार के

प्रीत जगा दो अपनी दिल में मेरे 
रटती रहूँ बाबा नाम को तेरे 
मीरा सी दीवानी करदो किस्मत संवार के  शरण में ले लो मुझको भूलें विसार के

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