यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 18 दिसंबर 2016

अफ़साने वादी में छाये हुए हैं

हमने माना कि तेरे दिल में समाये हुए हैं
इक पल झलक दिखा  दो चोट खाये हुए हैं

गुलशन का हर फूल देता रहा है गवाही
गुंचे गुंचे में इसकी खुशबु फैलाये हुए हैं

तुझको पाया है अपने दिल की गहराईयों में
ज़माने से इस कदर हम तो घबराये हुए हैं

न दूर कभी मुझसे होना मेरे करीब आके
अफ़साने तेरे इस वादी में अब छाये हुए हैं
@मीना गुलियानी



1 टिप्पणी: