आज फिर सुबह से ठंडक बढ़ गई है
कोहरे की चादर भी उस पर पड़ गई है
रिश्तों पर भी मौसम की सर्दी पड़ गई है
चलो अपने प्यार की गर्माहट उसमें भरदें
मन की कड़वाहट मिटाके रिश्ते जीवन्त करदें
दूर करके विषमताएँ फासलों को मिटाएँ
होठों को बन्द करके इशारों से मुस्कुराएं
सब शिकवे हम भुलादें कुछ गीत नए गाएं
कुछ फिर से बने सपने संवेदना को जगाएं
अन्धकार को मिटाकर नवदीप हम जलाएं
@मीना गुलियानी
कोहरे की चादर भी उस पर पड़ गई है
रिश्तों पर भी मौसम की सर्दी पड़ गई है
चलो अपने प्यार की गर्माहट उसमें भरदें
मन की कड़वाहट मिटाके रिश्ते जीवन्त करदें
दूर करके विषमताएँ फासलों को मिटाएँ
होठों को बन्द करके इशारों से मुस्कुराएं
सब शिकवे हम भुलादें कुछ गीत नए गाएं
कुछ फिर से बने सपने संवेदना को जगाएं
अन्धकार को मिटाकर नवदीप हम जलाएं
@मीना गुलियानी
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