मुझे ज़माने में इस शोहरत की चाह नहीँ है
चाहती हूँ कि तुम मुझे पहचान लो
जो जैसा होता है वैसा ही अक्स ढूँढता है
पर मुझे अपनी औकात का पता है
यह मिट्टी ही अब मेरी पहचान है
ज़िन्दगी यूँ ही गुज़रती जा रही है
हार जीत के दोनों मुकाम तय करने हैं
सागर की गहराई से जीना सीखा है
जो चुपचाप अपनी मौज में जीता है
मुझे फरेब से सख्त नफरत है
वक्त के साथ रंग ढंग बदलते हैं
बचपन के सुहाने पल खो गए हैं
पहले हँसते कूदते इठलाते रहते थे
अब मुस्कुराते भी बहुत कम ही हैं
रिश्तों को निभाने में खुद को खो दिया
मेरी जिंदगी ने यही फलसफा सिखाया है
जहाँ में सभी अपने हैं कोई नहीँ पराया है
@मीना गुलियानी
चाहती हूँ कि तुम मुझे पहचान लो
जो जैसा होता है वैसा ही अक्स ढूँढता है
पर मुझे अपनी औकात का पता है
यह मिट्टी ही अब मेरी पहचान है
ज़िन्दगी यूँ ही गुज़रती जा रही है
हार जीत के दोनों मुकाम तय करने हैं
सागर की गहराई से जीना सीखा है
जो चुपचाप अपनी मौज में जीता है
मुझे फरेब से सख्त नफरत है
वक्त के साथ रंग ढंग बदलते हैं
बचपन के सुहाने पल खो गए हैं
पहले हँसते कूदते इठलाते रहते थे
अब मुस्कुराते भी बहुत कम ही हैं
रिश्तों को निभाने में खुद को खो दिया
मेरी जिंदगी ने यही फलसफा सिखाया है
जहाँ में सभी अपने हैं कोई नहीँ पराया है
@मीना गुलियानी
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