शोहरत की चाह में जिंदगी गुज़ारी हमने
जीना चाहा तो मोहलत न मिली जीने की
रब ने नवाज़ा था हमें जिंदगी देकर
पर तब तमन्ना हमें न थी जीने की
अब लगता है हमें यूँ ही दुनिया से चल देंगे
कोई कांधा भी शायद हमें नसीब न हो
इस तरह जिंदगी गुज़ार दी है हमने
रफीक तो हम क्या ढूंढे शायद रकीब न हो
समंदर भी बड़ा बेपरवाह ही निकला
डूबना जब चाहा तो डूबने न दिया
जब जीना चाहा तो तैरने न दिया
कितना वो तेरी तरह बेदर्द निकला
दुनिया में हर शख्स के अफ़साने हैं
जिस्मो जा के ही सब दीवाने हैं
सिर्फ दौलत की हवस है सबको
दिलवालों के लुटते यहाँ ख़ज़ाने हैं
@मीना गुलियानी
जीना चाहा तो मोहलत न मिली जीने की
रब ने नवाज़ा था हमें जिंदगी देकर
पर तब तमन्ना हमें न थी जीने की
अब लगता है हमें यूँ ही दुनिया से चल देंगे
कोई कांधा भी शायद हमें नसीब न हो
इस तरह जिंदगी गुज़ार दी है हमने
रफीक तो हम क्या ढूंढे शायद रकीब न हो
समंदर भी बड़ा बेपरवाह ही निकला
डूबना जब चाहा तो डूबने न दिया
जब जीना चाहा तो तैरने न दिया
कितना वो तेरी तरह बेदर्द निकला
दुनिया में हर शख्स के अफ़साने हैं
जिस्मो जा के ही सब दीवाने हैं
सिर्फ दौलत की हवस है सबको
दिलवालों के लुटते यहाँ ख़ज़ाने हैं
@मीना गुलियानी
बहुत ही सुन्दर रचना है।good night
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना है।good night
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