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मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

मन में पिया जी समाये गयो रे

मेरे मन में पिया जी समाये गयो रे 
कि मैं अपनी तो सुध बुध गंवा बैठी 
 आये आहट तो देखूं वो आये गयो रे 
मैं तो पलकों में उसको समा बैठी 

नित आने की बाट संजोती हूँ मैं 
मेरे आँगन की खोले किवड़िया 
जाने कब आयेंगे पिया जी मोरे 
अपने बालों में गजरा सजा बैठी 

किस गाँव गए हैं सांवरिया मोरे 
रूप उनका मेरे मन को भाया 
नैनो को मूँद लूँ तो दर्शन करूँ 
अपने दिल में उसे मैं बसा बैठी 

उसकी खुशबु लिए पुरवईया चली 
मेरा आँचल भी उसने उड़ाया 
छाई बदरी भी काली  बरसने लगी 
झट आँचल में मुखड़ा छिपा बैठी 
@मीना गुलियानी 

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