मेरे अंतर में भी एक झरना बहता है
जो रोशनी की किरण की आस रखता है
सागर से मिलने की चाह रखता है
सागर में खो जाने को आकुल रहता है
मगर हवा मेरा रास्ता रोक लेती है
मन दौड़कर हवा से आगे निकलता है
जीवन नदिया की धारा के समान है
जो इठलाती बलखाती चलती रहती है
जीवन के सपने और हकीकत दो किनारे हैं
टूट कर इस धारा में मिलने को आतुर हैं
जीवन और नदिया बल खाते हुए मुड़ते हैं
अपनी राह बनाकर जीवन को आयाम देते हैं
अंत में नदिया अनंत सागर में लीन हो जाती है
@मीना गुलियांनी
जो रोशनी की किरण की आस रखता है
सागर से मिलने की चाह रखता है
सागर में खो जाने को आकुल रहता है
मगर हवा मेरा रास्ता रोक लेती है
मन दौड़कर हवा से आगे निकलता है
जीवन नदिया की धारा के समान है
जो इठलाती बलखाती चलती रहती है
जीवन के सपने और हकीकत दो किनारे हैं
टूट कर इस धारा में मिलने को आतुर हैं
जीवन और नदिया बल खाते हुए मुड़ते हैं
अपनी राह बनाकर जीवन को आयाम देते हैं
अंत में नदिया अनंत सागर में लीन हो जाती है
@मीना गुलियांनी
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