बताओ भला कैसे हम भुलाएँ वो बचपन
नानी का दुलार और प्यारा सा आँगन
वो गुड़िया का घर वो गर्मियों की दोपहर
वो कड़ाके की सर्दी और हवाओं का कहर
वो दादा दादी की कहानी हवा की रवानी
मम्मी से शिकायत डाँट पड़ती थी खानी
वो गेंद के टप्पे और वो टॉफियों के रैपर
वो साईकिल पे कितने लगाते थे चक्कर
वो खेतों में जाना और गन्ने भुट्टों को खाना
बारिश के दिनों में कागज़ की नाव चलाना
वो हलवा और चाट क्या हमारे थे ठाठ
वो हँसना हँसाना और दोहराते थे पाठ
कभी स्कूल की छुट्टी और दोस्तों से कुट्टी
कभी बचपन के झगड़े करते थे अट्टा बट्टी
याद आता है पापा और दादा का प्यार
भला कैसे भूलेंगे संग बिताए त्यौहार
@मीना गुलियानी
नानी का दुलार और प्यारा सा आँगन
वो गुड़िया का घर वो गर्मियों की दोपहर
वो कड़ाके की सर्दी और हवाओं का कहर
वो दादा दादी की कहानी हवा की रवानी
मम्मी से शिकायत डाँट पड़ती थी खानी
वो गेंद के टप्पे और वो टॉफियों के रैपर
वो साईकिल पे कितने लगाते थे चक्कर
वो खेतों में जाना और गन्ने भुट्टों को खाना
बारिश के दिनों में कागज़ की नाव चलाना
वो हलवा और चाट क्या हमारे थे ठाठ
वो हँसना हँसाना और दोहराते थे पाठ
कभी स्कूल की छुट्टी और दोस्तों से कुट्टी
कभी बचपन के झगड़े करते थे अट्टा बट्टी
याद आता है पापा और दादा का प्यार
भला कैसे भूलेंगे संग बिताए त्यौहार
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंBahut sunder...bachpan ki yad
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