मैं तुम्हें देखकर अनगिनत बातें सोचता हूँ
जिन्हें यह जिंदगी सुनिश्चित करती है
जिसकी उदास हवा में गीत दम तोड़ते हैं
एक खामोशी गुमनामी में सफर करती है
केवल रह गईं हैं यादें गुज़रे पलों की
गर्मियों की तन्हा रातें और चाँदनी
बेवजह हम दोनों एक दूसरे को ताकते
खो जाते बिखरे हुए पलों को समेटते
तुम्हारे कानों में हौले से कुछ कहना
जो लहरा के नज़्म बन जाते हैं
दूर से आती आवाज़ें सपनों में ढलती हैं
चाँदनी अपनी आगोश में समेटती है
@मीना गुलियानी
जिन्हें यह जिंदगी सुनिश्चित करती है
जिसकी उदास हवा में गीत दम तोड़ते हैं
एक खामोशी गुमनामी में सफर करती है
केवल रह गईं हैं यादें गुज़रे पलों की
गर्मियों की तन्हा रातें और चाँदनी
बेवजह हम दोनों एक दूसरे को ताकते
खो जाते बिखरे हुए पलों को समेटते
तुम्हारे कानों में हौले से कुछ कहना
जो लहरा के नज़्म बन जाते हैं
दूर से आती आवाज़ें सपनों में ढलती हैं
चाँदनी अपनी आगोश में समेटती है
@मीना गुलियानी
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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