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बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

सुध दीनी बिसराए

सखी कैसे मैं खेलूँ फाग
मोरे पिया घर नहीं आए

हेरत हेरत थक  गईं अखियाँ
जियरा मोरा अकुलाय

लिख लिख पाती भेजूँ कैसे
कोई संदेशा पहुँचाए

होती गर मैं बन की कोयलिया
उड़ जाती उत धाय

सबके बलम घर आवन लागे
नैना मोरे भर आए

सब सखियाँ मोसे करत ठिठोली
काहे सुध दीनी बिसराए
@मीना गुलियानी 

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