सखी कैसे मैं खेलूँ फाग
मोरे पिया घर नहीं आए
हेरत हेरत थक गईं अखियाँ
जियरा मोरा अकुलाय
लिख लिख पाती भेजूँ कैसे
कोई संदेशा पहुँचाए
होती गर मैं बन की कोयलिया
उड़ जाती उत धाय
सबके बलम घर आवन लागे
नैना मोरे भर आए
सब सखियाँ मोसे करत ठिठोली
काहे सुध दीनी बिसराए
@मीना गुलियानी
मोरे पिया घर नहीं आए
हेरत हेरत थक गईं अखियाँ
जियरा मोरा अकुलाय
लिख लिख पाती भेजूँ कैसे
कोई संदेशा पहुँचाए
होती गर मैं बन की कोयलिया
उड़ जाती उत धाय
सबके बलम घर आवन लागे
नैना मोरे भर आए
सब सखियाँ मोसे करत ठिठोली
काहे सुध दीनी बिसराए
@मीना गुलियानी
https://mayankkvita.blogspot.in/2018/03/1.html
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