आया है फागुन
पुलकित हुआ मन
हुलसा है तन
महका हर उपवन
पुराने पत्तों का क्षरण
नवपल्ल्वों का अवगुंठन
कोमल पत्तों पर
ओस कणों की छुअन
धरा का पुष्पों से
महका है आंगन
पहनी है धानी चूनर
लटकी मोती की झूमर
पहनी मोतियन माला
इठलाई बनके बाला
सूरज उतरा नीचे
छूने पाँव धरा के
चंदा ने दी बाहें पसार
चाँदनी गाए मल्हार
नाचे बन में मोर
प्रमुदित हुआ चकोर
ब्रज में छाया उल्लास
कान्हा संग गोपियन का रास
आई ग्वालों की टोली
खेलें सब हिलमिल होली
उड़े अबीर गुलाल का रंग
बाजे ढोल मृदंग और चंग
@मीना गुलियानी
पुलकित हुआ मन
हुलसा है तन
महका हर उपवन
पुराने पत्तों का क्षरण
नवपल्ल्वों का अवगुंठन
कोमल पत्तों पर
ओस कणों की छुअन
धरा का पुष्पों से
महका है आंगन
पहनी है धानी चूनर
लटकी मोती की झूमर
पहनी मोतियन माला
इठलाई बनके बाला
सूरज उतरा नीचे
छूने पाँव धरा के
चंदा ने दी बाहें पसार
चाँदनी गाए मल्हार
नाचे बन में मोर
प्रमुदित हुआ चकोर
ब्रज में छाया उल्लास
कान्हा संग गोपियन का रास
आई ग्वालों की टोली
खेलें सब हिलमिल होली
उड़े अबीर गुलाल का रंग
बाजे ढोल मृदंग और चंग
@मीना गुलियानी
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जवाब देंहटाएंआदरणीय मीना जी -- फागुन मास के सर्वांग सौदर्य से भरी रचना बहुत ही सुंदर सार्थक शब्दों में बंधी हैं | होली से पहले फाग की आहटदेती रचना के लिए हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंhttps://mayankkvita.blogspot.in/2017/09/blog-post_26.html
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