समुद्र के किनारे लहरों को गिनते हुए
बैठे हुए चुपचाप खामोश से हम तुम
तुमने जब आँखे खोली बजी एक धुन
जो एक लय में धड़कने लगती है
तुम्हारे होंठों पे हँसी आते आते
क्यों ठिठक जाती सिहर जाती है
एक तूफ़ान सी खामोशी फिर से
तुम्हारे हाथों में ही सिमट जाती है
तुम्हारी आँखों से परछाईयाँ उभरती हैं
अनगिनत रंगों के सपने निकलते हैं
एक गुबार सा बरसने लगता है
हम तुम खामोशी से सीपियाँ चुनते हैं
@मीना गुलियानी
बैठे हुए चुपचाप खामोश से हम तुम
तुमने जब आँखे खोली बजी एक धुन
जो एक लय में धड़कने लगती है
तुम्हारे होंठों पे हँसी आते आते
क्यों ठिठक जाती सिहर जाती है
एक तूफ़ान सी खामोशी फिर से
तुम्हारे हाथों में ही सिमट जाती है
तुम्हारी आँखों से परछाईयाँ उभरती हैं
अनगिनत रंगों के सपने निकलते हैं
एक गुबार सा बरसने लगता है
हम तुम खामोशी से सीपियाँ चुनते हैं
@मीना गुलियानी
moti to gehre pani mein utar kr milte hain
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
बहुत सुंदर
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