क्या जीवन की चिंताएँ कभी खत्म होंगीं
हर व्यक्ति के साथ क्या उम्र भर रहेंगीं
सुबह सुबह से ही खाने पीने की चिन्ता
फिर नहा धोकर दफ्तर जाने की चिंता
बच्चों को स्कूल छोड़ आने की चिन्ता
ऐसे कब तक ये चिंता दिमाग में पलेगी
दफ्तर से आते ही घर में मचा रोना धोना
बच्चों के झगड़े बीबी के कमेंट पास होना
बनिये का बिल कभी दूध वाले का बिल
कभी राशन धोबी और डाक्टर का बिल
हालत हो जाए खस्ता आमदनी से ज़्यादा खर्चा
भरूँ मैं कहाँ से बिजली और पानी का खर्चा
जितनी कमाई करो पड़ जाए वो खटाई में
कुछ जाए उधार कुछ दर्ज़ी की सिलाई में
पड़ौसी भी मांगे उधार काम वाली को बुखार
घर पर टी वी मोबाइल का नेटवर्क भी बेकार
@मीना गुलियानी
हर व्यक्ति के साथ क्या उम्र भर रहेंगीं
सुबह सुबह से ही खाने पीने की चिन्ता
फिर नहा धोकर दफ्तर जाने की चिंता
बच्चों को स्कूल छोड़ आने की चिन्ता
ऐसे कब तक ये चिंता दिमाग में पलेगी
दफ्तर से आते ही घर में मचा रोना धोना
बच्चों के झगड़े बीबी के कमेंट पास होना
बनिये का बिल कभी दूध वाले का बिल
कभी राशन धोबी और डाक्टर का बिल
हालत हो जाए खस्ता आमदनी से ज़्यादा खर्चा
भरूँ मैं कहाँ से बिजली और पानी का खर्चा
जितनी कमाई करो पड़ जाए वो खटाई में
कुछ जाए उधार कुछ दर्ज़ी की सिलाई में
पड़ौसी भी मांगे उधार काम वाली को बुखार
घर पर टी वी मोबाइल का नेटवर्क भी बेकार
@मीना गुलियानी
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआम व्यक्ति और हर घर की चिंता और दिनचर्या आपने बखूबी वरव किया आपने यथार्थ रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर ।