जाने क्यों तेरे वादे पे ऐतबार किया
हर पल कयामत का इंतज़ार किया
कहके गए थे आएंगे पर तुम न आए
वादों में दिन ये कटे पर तुम न आए
दिल को तुम पर ही क्यों निसार किया
दिल में इक दर्द छिपा हुए खुद से पराए
चुपचाप ज़हर पीते रहे और मुस्कुराए
मिलने का झूठा ही क्यों करार किया
प्रीत का दर्द भी कितना मीठा होता है
प्रीत जो सच्ची हो तो एहसास होता है
क्या तुमने कभी भी सच्चा प्यार किया
@मीना गुलियानी
हर पल कयामत का इंतज़ार किया
कहके गए थे आएंगे पर तुम न आए
वादों में दिन ये कटे पर तुम न आए
दिल को तुम पर ही क्यों निसार किया
दिल में इक दर्द छिपा हुए खुद से पराए
चुपचाप ज़हर पीते रहे और मुस्कुराए
मिलने का झूठा ही क्यों करार किया
प्रीत का दर्द भी कितना मीठा होता है
प्रीत जो सच्ची हो तो एहसास होता है
क्या तुमने कभी भी सच्चा प्यार किया
@मीना गुलियानी
बहुत खूब मीना जी।
जवाब देंहटाएंक्या तुमने कभी सच्चा प्यार किया है।
बेहतरीन कलमा।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएं