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मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

जीवन में बसंत आ जाता

गर तुम आते फिर जीवन में
मन की कलियाँ खिल जातीं

धुल जाता इस मन से विषाद
सूनी अखियाँ फिर भर जातीं

अश्रुजल तुम्हें समर्पित करती
सुगंधित पवन मन में भरती

उन्माद गगन में छा जाता
जीवन में बसंत आ जाता
@मीना गुलियानी 

2 टिप्‍पणियां:

  1. जी आदरणीय मीना जी -- जीवन के वसंत के लिए एक साथी तो जरुर दरकार है | बिना मनमीत के कैसा बसंत ?

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