मुझसे तुम आँख चुराते हो
प्यार अपने को छुपाते हो
क्या मुझसे तुम घबराते हो
या मुझसे थोड़ा शर्माते हो
अपना हक भी न जताते हो
क्यों यूँ ही तुम लज्जाते हो
मन के सब भेद छुपाते हो
खुलके क्यों न बताते हो
यूँ ही तुम चुप रह जाते हो
दिल को मेरे तुम लुभाते हो
सपनों में मेरे तुम आते हो
कानों में क्या कह जाते हो
होठों पे मेरे हँसी लाते हो
@मीना गुलियानी
प्यार अपने को छुपाते हो
क्या मुझसे तुम घबराते हो
या मुझसे थोड़ा शर्माते हो
अपना हक भी न जताते हो
क्यों यूँ ही तुम लज्जाते हो
मन के सब भेद छुपाते हो
खुलके क्यों न बताते हो
यूँ ही तुम चुप रह जाते हो
दिल को मेरे तुम लुभाते हो
सपनों में मेरे तुम आते हो
कानों में क्या कह जाते हो
होठों पे मेरे हँसी लाते हो
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें