Meena's Diary
यह ब्लॉग खोजें
शनिवार, 11 अप्रैल 2020
ख़ामोशी
तुम्हारे होठों पे हँसी आते आते
क्यों ठिठक जाती सिहर जाती है
एक तूफ़ान सी ख़ामोशी फिर से
तुम्हारे हाथों में ही सिमट जाती है
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें