Meena's Diary
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शनिवार, 11 अप्रैल 2020
एक तुम हो
एक हम हैं जां निसार करते हैं
एक तुम हो कि ऐतबार नहीं
यकीं था हमको तेरी चाहत पर
क्या इसके भी तलबग़ार नहीं
@मीना गुलियानी
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