आओ नदिया के उस पार चलें
वहाँ कल कल जलधारा बहती है
ठंडी ह्वाएँ मन को मोहती हैं
फूलों की सुरभि मदहोश करती है
सन सन फिजाएँ बहकाती हैं
जहाँ पर्वत से सुरम्य झरने बहते हैं
बरगद के पेड़ की छाँव में चलें
वहाँ हम दोनों प्रेम से झूला झूलें
एक दूसरे के गिले शिकवे सब भूलें
@मीना गुलियानी
वहाँ कल कल जलधारा बहती है
ठंडी ह्वाएँ मन को मोहती हैं
फूलों की सुरभि मदहोश करती है
सन सन फिजाएँ बहकाती हैं
जहाँ पर्वत से सुरम्य झरने बहते हैं
बरगद के पेड़ की छाँव में चलें
वहाँ हम दोनों प्रेम से झूला झूलें
एक दूसरे के गिले शिकवे सब भूलें
@मीना गुलियानी
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