यह सन्नाटा मरघट जैसा हमें लगता है
बेहद डरावना सुनसान काटने लगता है
जाने कब तक धरा को सहना पड़ता है
इस पर सांस लेना भी भारी लगता है
लाचारों का दुःख हृदय विदीर्ण करता है
प्रलय सदृश्य वातावरण ये लगता है
सब कुछ उसके हाथ जाने कब सुनता है
प्रतीक्षा है कब जीवन पटरी पर आता है
@मीना गुलियानी
बेहद डरावना सुनसान काटने लगता है
जाने कब तक धरा को सहना पड़ता है
इस पर सांस लेना भी भारी लगता है
लाचारों का दुःख हृदय विदीर्ण करता है
प्रलय सदृश्य वातावरण ये लगता है
सब कुछ उसके हाथ जाने कब सुनता है
प्रतीक्षा है कब जीवन पटरी पर आता है
@मीना गुलियानी
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