रे मन मत हो निराश
तुझे इस अन्तर के
अन्धकार को चीरकर
बाहर निकलना होगा
तुझे उगते सूरज जैसे
आगे बढ़ना ही होगा
चाहे दिल तुम्हारा टूटे
चाहे कोई तुमसे रूठे
सब कुछ भुलाकर तुम्हें
नए रिश्तों को गढ़ना होगा
@मीना गुलियानी
तुझे इस अन्तर के
अन्धकार को चीरकर
बाहर निकलना होगा
तुझे उगते सूरज जैसे
आगे बढ़ना ही होगा
चाहे दिल तुम्हारा टूटे
चाहे कोई तुमसे रूठे
सब कुछ भुलाकर तुम्हें
नए रिश्तों को गढ़ना होगा
@मीना गुलियानी
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