कैसा है यादों का सफर
बिखरे हुए हैं यादों के पल
मन की चंचलता के पल
किसी सोच में डूबा हुआ मन
कहता मेरी अंगुली पकड़
क्या करूँ कहाँ मैं जाऊँ
चहुँ ओर अँधेरा है अब
आगे जाते मन डूबता है अब
कोई मनमीत साथी नहीं
साथ विचरण करे जो अब
@मीना गुलियानी
बिखरे हुए हैं यादों के पल
मन की चंचलता के पल
किसी सोच में डूबा हुआ मन
कहता मेरी अंगुली पकड़
क्या करूँ कहाँ मैं जाऊँ
चहुँ ओर अँधेरा है अब
आगे जाते मन डूबता है अब
कोई मनमीत साथी नहीं
साथ विचरण करे जो अब
@मीना गुलियानी
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