मैं पानी की एक बूँद हूँ
कुछ हवा भी तूफ़ान उठाती है
एक प्रलय ज्वारभाटा सा
मेरे अन्तर में उभरता है
हर कोई जिसे नहीं समझता
कभी शबनम तो कभी शोले
मेरे अन्तर में धधकते हैं
हर लम्हा मेरा रूप
बदलता ही रहता है
रात दिन एक प्रलय सा
तूफ़ान उमड़ता है
@मीना गुलियानी
कुछ हवा भी तूफ़ान उठाती है
एक प्रलय ज्वारभाटा सा
मेरे अन्तर में उभरता है
हर कोई जिसे नहीं समझता
कभी शबनम तो कभी शोले
मेरे अन्तर में धधकते हैं
हर लम्हा मेरा रूप
बदलता ही रहता है
रात दिन एक प्रलय सा
तूफ़ान उमड़ता है
@मीना गुलियानी
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