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गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

कल ही की बात थी

अभी कल ही की बात थी
हम दोनों आँगन में बैठे थे
तुम्हारे हाथों में मेरा हाथ था
दोनों प्यार की बातें कर रहे थे
अचानक किसी आहट से उठे
बाहर गए अब तक लौटे नहीं
ऐसा भी अनायास क्या हुआ
तुम मुझे भी भूल गए चले गए
अब तक मैं उसी दहलीज़ पर
बाहें पसारे तुम्हारी प्रतीक्षा में हूँ
@मीना गुलियानी 

टूटे पत्तों का बिखर जाना

टूटे पत्तों का बिखर जाना
ज़मी की धूल में मिल जाना
नसीब क्या किसी ने न जाना
यही हकीकत यही अफसाना
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 29 अप्रैल 2020

ये ज़मी ये आसमां

ये ज़मी ये आसमां खूबसूरत है जहाँ
कभी इनका प्यार कम नहीँ होता
इतनी दूरी होने पर भी रहे बढ़ता
आसमां सितारों की चूनर ओढ़ाता
मेघों से धरा पर बरसात कराता
सूरज गर्मी , चंदा चाँदनी को लाता
शीतल बयार चलती फूल महकता
भंवरों का गुंजन लुभाता जमीं आसमां
का ये मिलन इक मिसाल बन जाता
@मीना गुलियानी 

कभी कभी तो डर लगता है

कभी कभी तो डर लगता है
तुझसे कहीं बिछड़ न जाएँ
तन्हाईयों में न खो जाएँ
जमाने में रुसवा  न हो जाएँ
अपनों के रूठने का डर और
वो कहीं बेवफा न हो जाएँ
फिर ख़ामोशी में न खो जाएँ
 ख़्वाब न टूटके बिखर जाएँ
@मीना गुलियानी 

देखते देखते

देखते देखते हम फ़िदा हो गए
सारे शिकवे गिले दूर भी हो गए
प्यार से दर्द सारे फ़ना हो गए
तेरे सपनों में हम तो खो ही गए
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

जीवन की किताब

जीवन में सुख दुःख के होते हैं पड़ाव
इनके दम से सबकी चलती है नाव

धूप में चलने पर अच्छी लगे छाँव
वर्ण कोई कैसे जाने इसका अभाव

कभी मिलती ख़ुशी कभी मिलते ग़म
इन पलों से भरी जीवन की किताब
@मीना गुलियानी 

सुख और दुःख

जीवन में सुख और दुःख

 आता जाता है प्रतिपल

कोई कहते हैं इसे भाग्य

कोई कहता इसे कर्मफल
@मीना गुलियानी

हे मेरे चंचल मन

हे मेरे चंचल मन
तू बावला मत बन
क्यों घूमे तू चहुँ ओर
तुझे सूझे न कोई ठोर

रख तू भी ज़रा संयम
यूं न जला मेरा मन
तू निष्ठुर मत बन
मत बड़ा तू उलझन
@मीना गुलियानी 

कहाँ खोये हुए हो

तुम कहाँ खोये हुए हो
गुलशन उजड़ रहा है
तुम अभी सोये हुए हो
जागो हिम्मत जगाओ
उजड़ते चमन  बचाओ
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 27 अप्रैल 2020

अपने काम से काम रखो

अपने काम से काम रखो
किसी के काम में न उलझो
किसी की  समस्या न बनो
वैमनस्य को तुम दूर करो
सबका भला ही तुम करो
खुद पर विश्वास तुम रखो
@मीना गुलियानी

दिल्लगी करते हैं लोग

दिल्लगी करते हैं लोग
नए कसीदे गढ़ते लोग
अफ़साने बनाते हैं लोग
चैन से जीने न देते लोग
पीछे ही पड़ जाते हैं लोग
छींटाकसी करते हैं लोग
रब से भी न डरते लोग
@मीना गुलियानी 

अफ़सोस नहीं अब

किसी बात का अफ़सोस नहीं अब
मैंने भी जीना सीख लिया है अब
घुट घुट कर बहुत जी लिया  हमने
मँझधार में तैरना सीख लिया अब
@मीना गुलियानी 

रविवार, 26 अप्रैल 2020

मौत तेरा अब मुझे डर नहीं

मौत तेरा अब मुझे डर नहीं
मालूम है इक दिन आएगी
इसकी अब मुझे कोई फ़िक्र नहीं
जब तक जियेंगे अच्छे कर्म करेंगे
मुफलिसों की मदद हम करेंगे
ऊपर वाले की दुआ है फ़िक्र नहीं
सुरक्षा घेराबंदी से अब फ़िक्र नहीं
करोना  का भी हमें अब डर नहीं
@मीना 

सच्ची घटना -कहानी

रेलवे की पुलिया के नीचे कुत्तों का
जमावड़ा लगा रहता था। हम लोग
वहाँ खाना  बाद टहलने जाते थे
साथ में घर में बची खुची रोटी भी
ले जाते थे। हमने देखा था एक फ़टे
कपड़ों में भिखारी को यदा कदा वहीँ
खड़ा मिल जाता था। जैसे  ही हम
रोटी कुत्तों के आगे डालते थे। वो
सबके सब उस पर झपट पड़ते थे रोज
तो हम रोटी डालकर वापिस लौट
जाते थे। पर एक दिन हम वहीँ रुक
गए थे की वे कैसे फ़टाफ़ट खाते हैं
तभी हमें यह देखकर हैरानी हुई क
वो भिखारी उन कुत्तों को पत्थर से
भगाकर रोटी उठाकर खा रहा था।
हमें उस पर बहुत क्षोभ हुआ दिल
पसीज गया। उस दिन के बाद से ही
हम दो रोटी सब्जी या अचार सहित
उसके लिए भी ले जाने लगे।  जिसे
देखते ही उसकी आँखें चमक उठीं।
हमे भी आत्मसंतोष हुआ कि कुछ
नेक कार्य हमने भी किया।
@मीना गुलियानी

शुभ करो शुभ होगा

शुभ करो शुभ होगा
दिन ख़ुशी भरा होगा
लक्ष्मी का वास होगा
संकटों का नाश होगा
शान्ति का वास होगा
आत्मा में प्रकाश होगा
देश में विकास होगा
सत्कर्म से जुड़ाव होगा
शुभ पुण्य संचित होगा
@मीना गुलियानी 

मुझसे तुम आँख चुराते हो

मुझसे तुम आँख चुराते हो
प्यार अपने को छुपाते हो
क्या मुझसे तुम घबराते हो
या  मुझसे थोड़ा शर्माते हो
अपना हक भी न जताते हो
क्यों यूँ ही तुम लज्जाते हो
मन के सब भेद छुपाते हो
खुलके क्यों न  बताते हो
यूँ ही तुम चुप रह जाते हो
दिल को मेरे तुम लुभाते हो
सपनों में मेरे तुम आते हो
कानों में क्या कह जाते हो
होठों पे मेरे हँसी लाते हो
@मीना गुलियानी

शनिवार, 25 अप्रैल 2020

जिंदगी बहुत ही हसीन है

जिंदगी बहुत ही हसीन है
कभी इसके पास तुम बैठो
ये अपनी दोस्ती निभायेगी
फुरसत के लम्हे बिताओ
ये अपनी महक लुटायेगी
तुम्हें अपनी बाहों में भरेगी
बाहों में झूला भी झुलायेगी
अपनी आगोश में भरकर
थपकी देकर तुम्हें सुलायेगी
संग में हँसेगी गुनगुनायेगी
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

जरा सोचो

जरा सोचो
संसार दुखो का घर है
यह परिवर्तनशील है
सबका आना जाना लगा रहता है
हर तरफ महामारी का डर
सबके दिलों पर छाया है
केवल ईश्वर की शरण
उसका ध्यान ,सुमिरन ही
हमेँ महामारी के कोपभाजन
का शिकार होने से
बचा सकती है फिर देर क्यों
बुरे कर्मों को त्यागकर
अभी से अच्छे कर्म करो
घर में रहकर संयम योग
अपनाकर सुमिरन करो
@मीना गुलियानी 

तुमको भूल गया है दिल

तुमको भूल गया है दिल
तुमने इसको बहुत सताया
तभी तो रूठा है ये दिल
आकर तुम ही इसे मनाओ
होगी तुमको बहुत मुश्किल
@मीना गुलियानी 

अपने अपने दायरे में

सबको अपने अपने दायरे में ही काम करना होता है
दायरा कभी कभी सिमटता है तो कभी टूट जाता है
इसी दायरे मेँ  ही अपना गुज़र बसर करना होता है
दायरे से हटकर काम करने पर झगड़े भी हो जाते हैं
कई तरह के सवालात उठते  हैं बवण्डर हो जाता है
@मीना गुलियानी 

आगोश में सुलाती है

तेरी पायल की रुनझुन
मधुर गीत सुनाती है
दिल पे बिजली सी
कोंध कौंध जाती है
हम होते ही तेरी याद
मुझ तक दबे पाँव
रोज़ चुपचाप चली आती है
दिल में हलचल मचाती है
नई पुरानी यादें दोहराती है
जब मैं थक जाता हूँ तो
अपनी आगोश में सुलाती है
@मीना गुलियानी 

सुबह की धूप

हर रोज़ सुबह की धूप
खिड़की के झरोखों से
छनकर मुझ तक आती है
फूलों और पत्तों पर
चमक अपनी लुटाती है
मलयानिल के झोंके भी
सुरभि, मकरन्द लाते हैं
उनकी महक जादू जगाती है
हवा में जब तुम्हारी जुल्फ़
यूँ ही लहराती है
लगता है कोई बदली
घुमड़कर छा जाती है
साँसों में इक सिहरन
 दौड़ जाती है
धड़कन मेरी थम जाती है
@मीना गुलियानी 

कैसे सह जाते हैं

कैसे सह  जाते हैं जुदाई के पल तुम बिन
बदलते रहोगे करवटें तुम भी यूँ रात दिन
इक पल भी युग सम बीते कटे न पल छिन
नागिन सी डसती रैना चैन न आवे तुम बिन
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

याद आता नहीं

याद आता नहीं तुझसे कभी रूठे थे हम
तुम्हारे पास रहने पर मुस्कुराते थे हम
गुनगुनाते भी थे और भूल जाते थे ग़म
@मीना गुलियानी 

एक तरफा मोहब्बत

कभी एक तरफा मोहब्बत हो
यह कभी भी हो नहीं सकती
डाल पेड़ से जुदा नहीं रहती
दोनों तरफ से प्रीत जुडी रहती
ताली एक हाथ से नहीं बजती
@मीना गुलियानी

कड़वा सच है

वक्त ने मुझे ऐसे मोड़ पे
लाकर खड़ा कर  दिया
कितना कोहराम मचता है
पर सुनता ही कौन है
कभी मेरे अन्तर में
झरना बहा करता था
आज वो एक रेगिस्तान
बन चुका है
यह सब वक्त की
विडम्बना, कड़वा सच है 
@मीना गुलियानी

एक बूँद हूँ

मैं पानी की एक बूँद हूँ
कुछ हवा भी तूफ़ान उठाती है
एक प्रलय ज्वारभाटा सा
मेरे अन्तर में उभरता है
हर कोई जिसे नहीं समझता
कभी शबनम तो कभी शोले
मेरे अन्तर में धधकते हैं
हर लम्हा मेरा रूप
बदलता ही रहता है
रात दिन एक प्रलय सा
तूफ़ान उमड़ता है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

चलते रहो

चलते रहो  यही जीवन की नियति है
रुकना इस जीवन की भी परिणति है
जीवन  कठिन तपस्या की स्थिति है
यह परीक्षा की भी घड़ी है निडर रहो
कर्मक्षेत्र से न विचलित हो चलते रहो
@मीना गुलियानी 

धरती का दुःख

धरती का दुःख बहुत  असहनीय है
फिर भी वो सब चुपचाप सहती है
बढ़ती जनसंख्या का भार ढोती है
जल दोहन करने से बंजर होती है
रसायन जल प्रदूषण भी सहती है
परमाणु बम के परीक्षण सहती है
कम वृष्टि,अति बृष्टि ओला वृष्टि
इनसे भूमि भी प्रभावित होती है
पेड़ काटे जाने का दुःख सहती है
इससे धरती की ऊष्मा बढ़ती है
धरती माँ समान पालन करती है
@मीना गुलियानी 

तुमको शायद ये याद नहीं

तुमको शायद ये याद नहीं
किया था वादा भूलोगे नहीं
गुज़रे इंतज़ार में पल यूँ ही
हम खड़े तेरी चौखट पे वहीँ
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

राज़ की बात है

राज़ की बात है किन्तु तुमसे कैसे छिपा पाती
नहीं तो दिल का बोझ हल्का कैसे कर पाती
@मीना गुलियानी 

मुझसे जो हो सकता था

मुझसे जो हो सकता था मैंने  वो किया
अब क्या तुझे बताऊँ बस में नहीं जिया
सनम तूने झूठे ख़्वाब दिखाके क्या किया
हर पल तेरी यादों ने दिल को बेचैन किया
@मीना गुलियानी 

तरसता रहता हूँ

कभी कभी भीड़ में भी मन
नितांत अकेला ही होता है
मन के कोने में छिपा दर्द
अचानक जाग सा उठता है
रिस रिस कर नस नस में
धड़कन बन बहता रहता है
कभी तुम मुझे भी पहचानो
हर पल तुम्हारी आवाज़ को
मैं हमेशा तरसता रहता हूँ
@मीना गुलियानी 

गीत नए बुनने लगी

चिड़िया सा उड़ता है मेरा मन
भंवरों की रोज़ सुनती हूँ गुँजन
मिट्टी की सौंधी खुशबु मुझको
स्वर्ण कण जैसे लगने लगी
जिसे मैं धरा से चुनने लगी
ख्वाबों में गीत नए बुनने लगी
@मीना गुलियानी 

आशियाना सजाने लगी

तिनके का सहारा मिला मुझको 
ख्वाब आशियाने के बुनने लगी
हरी पत्तियों की कोमलता लेकर
फिर से नया जीवन जीने लगी
फूलों की शबनम तितली के रंग
चुराकर आशियाना सजाने लगी
@मीना गुलियानी


आना जाना लगा ही रहेगा

आना जाना लगा ही रहेगा
जिंदगी का सफर यूँ चलेगा
यादों का कारवां भी सजेगा
दिल कब तक तू रूठा रहेगा
कदम बढ़ाओ रास्ता मिलेगा
लाँघेगा पर्वत जो तू न डरेगा
जीवन में मेला लगा ही रहेगा
ऐ दिल तू न अब तन्हा रहेगा
@मीना गुलियानी           

सोमवार, 20 अप्रैल 2020

हमेशा नहीं रहना

हमेशा नहीं रहना हमें इस तरह कैद घर में

 दिक्कत के पल हँसके गुज़ारो देश हित में 
@मीना गुलियानी





बेमौसम बरसात ये

बेमौसम बरसात ये जाने क्या कहर बरपायेगी
आसमां से ओलावृष्टि फसल चौपट कर जायेगी
एक तरफ करोना और बरसात क्या रंग लायेगी
प्रकृति का शायद प्रकोप बन धरती पर छायेगी
@मीना गुलियानी

तुम्हारी आरजू में

तुम्हारी आरजू में हम दर दर भटकते ही रहे
तुमने परवाह न की हम दीद को तरसते रहे
तुमसे मिलने की मिन्नतें बार बार करते रहे
सुकूँ अपने दिल का खोया और तड़पते ही रहे
@मीना गुलियानी







रविवार, 19 अप्रैल 2020

भाग्य के भरोसे

भाग्य के भरोसे बैठना व्यर्थ है
काम तो पुरुषार्थ से सिद्ध होगा
खाली बैठकर सोचने से न होगा
दिल में हौंसला मेहनत से होगा
लक्ष्य मेहनत से हासिल होगा
@मीना गुलियानी 

कमी रह जाती है


हर इन्सान में कोई न कोई कमी रह जाती है
जिंदगी में कभी एहसास, जज़्बात की कमी
रिश्तों को निभाने में नज़र आती है लेकिन
जहाँ इश्क़ सच्चा हो वो इबादत बन जाता है
उसकी रेहमत में कोई कमी नज़र न आती है
@मीना गुलियानी 

पुकारा करेंगे तुम्हें रात दिन

पुकारा करेंगे तुम्हें रात दिन
काटूँ मैं कैसे ये पल तुम बिन
आज दिल में अँधेरा तुम बिन
डूबा हुआ मन  मेरा तुम बिन
कोई साथी  न  मेरा तुम बिन
@मीना गुलियानी 

गाँव वो हमारा हो

अपना प्यारा सा घर वहाँ बसायें
सुंदर सपनों से उसे हम सजाएँ
धरती से मिलता आसमान हो
दुःख दर्द का नामोनिशान न हो
जहाँ  सब हिलमिल कर रहते हों
दुःख सुख सब साँझा करते हों
जहाँ सिर्फ प्रेम और भाईचारा हो
ऐसा प्यारा सा गाँव वो हमारा हो
@मीना गुलियानी 

उस पार चलें

आओ नदिया के उस पार चलें
वहाँ कल कल जलधारा बहती है
ठंडी ह्वाएँ मन को  मोहती हैं
फूलों की सुरभि मदहोश करती है
सन सन  फिजाएँ बहकाती हैं
जहाँ पर्वत से सुरम्य झरने बहते हैं
बरगद के पेड़ की छाँव में चलें
वहाँ हम दोनों प्रेम से झूला झूलें
एक दूसरे के गिले शिकवे सब भूलें
@मीना गुलियानी 

बिना हमसफ़र

वो पल न जाने कैसे थे
बिखर गए सुनहरे स्वप्न
हो गईं अकेली शामें सुबहें
वो प्रेमालाप की धड़कन
सिर्फ यादें हैं चन्द लम्हों की
तन्हा है जिंदगी का सफर
कटेगा कैसे बिना हमसफ़र
@मीना गुलियानी 

कैसा है यादों का सफर

कैसा है यादों का सफर
बिखरे हुए हैं यादों के पल
मन की चंचलता के पल
किसी सोच में डूबा हुआ मन
कहता मेरी अंगुली पकड़
क्या करूँ कहाँ मैं जाऊँ
चहुँ ओर अँधेरा है अब
आगे जाते मन डूबता है अब
कोई मनमीत साथी नहीं
साथ विचरण करे जो अब
@मीना गुलियानी 

एक चाहत

एक चाहत जिसने कभी चैन से जीने न दिया
हर पल मेरे दिल को उसने बेचैन ही तो किया
मेरे दिल का सारा सुकूँ तक उसने छीन लिया
मुझे गुमनाम अंधेरों में भटकने को छोड़ दिया
मुझे कहीं का न रखा किसी लायक रहने न दिया
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 18 अप्रैल 2020

ख्वाबों की महक

जिंदगी एक ख़्वाब की तरह है
इसकी खुशबु में हम जीते हैं
कभी हँसते और गुनगुनाते हैं
सोते हैं जागते हैं सपने आते हैं
ख्वाबों की महक में हम जीते हैं
इन्ही ख्वाबों के महल बनाते हैं
इनसे अपनी दुनिया सजाते हैं
दिल में तुमको ही हम बसाते हैं
तुमको इक पल भूल न पाते हैं
@मीना गुलियानी

खट्टी या मीठी जिंदगी

जिंदगी में जब भी आदमी खुश होता है
तब मीठी यादें होती हैं उसमें जीता है
जब लड़ाई होती है तो खटास होती है
 मिठास और खटास दोनों मिलते हैं
अच्छाई को अपनाकर हम जीते हैं
बुरे पलों को भूल जाने में भलाई  है
हम खट्टी या मीठी जिंदगी जीते हैं
जैसा हमें रुचिकर लगे जीते जाते हैं
@मीना गुलियानी 

बिछड़ने से पहले

बिछड़ने से पहले तुमने मुझे गले लगाया था
मेरे सर को अपने काँधे पे तुमने टिकाया था
जल्दी फिर लौटके आओगे ये मुझे बताया था
मेरा दिल वो लम्हा अब तक भुला न पाया था
@मीना गुलियानी 

यही अंजाम होना था

मुझे पहले से पता था
बेपनाह इश्क का तो
यही अंजाम होना था
हमें प्यार में खोना था
 रुसवा हमें होना था
जुदा न कभी होना था
यादोँ में ही खोना था
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

वक्त व्यर्थ न गंवाओ

एक एक पल बहुमूल्य सम्पदा है यूँ ही न लुटाओ
वक्त व्यर्थ न गंवाओ इसे किसी काम में लगाओ
रेत के मानिन्द हाथ से फिसलेगा लम्हें न गंवाओ
देश समस्या से जूझ रहा है मदद में हाथ बँटाओ
@मीना गुलियानी 

परिवर्तित करना होगा

आगे बढ़ोगे तो नए
रास्ते भी खुलने लगेंगे
कई  अपने बेगाने भी
इस पथ में तुमको मिलेंगे
उगते हुए सूरज को भी
इक दिन ढलना होगा
इस सत्य को पहचानो
जड़ता को चैतन्य में
परिवर्तित करना होगा
@मीना गुलियानी 

रिश्तों को गढ़ना होगा

रे मन मत हो निराश
तुझे इस अन्तर के
अन्धकार को चीरकर
बाहर निकलना होगा
तुझे उगते सूरज जैसे
आगे बढ़ना ही होगा
चाहे दिल तुम्हारा टूटे
चाहे कोई तुमसे रूठे
सब कुछ भुलाकर तुम्हें
नए रिश्तों को गढ़ना होगा
@मीना गुलियानी 

अच्छा होता

अच्छा होता अगर तुम बात मान लेते
साथ साथ चलते हाथ तुम थाम लेते
छोड़ते न कभी दामन तुम्हारा नाम लेते
हर पल साथ रहते कोई न इल्ज़ाम लेते
कोई मुसीबत भी आती गर तो बाँट लेते
@मीना गुलियानी 

अच्छा होता

अच्छा होता अगर तुम साथ होते
मेरे अरमां अभी पूरे हो गए होते
कोई भी सपने न हमारे अधूरे होते
खुशिओं से भरा जीवन जी रहे होते
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

समय रहते सम्भल जाओ

समय रहते सम्भल जाओ वरना पछताओगे
व्यर्थ में समय गंवाया तो सब कुछ गंवाओगे
अभी भी वक्त है सम्भलोगे तो जीत जाओगे
@मीना गुलियानी 

वो लाती है

धीरे धीरे रात दबे पाँव आती है
आके मेरे सिरहाने बैठ जाती है
मेरे कानों में कुछ कह जाती है
अपनी आग़ोश में मुझे सुलाती है
मीठे मीठे सपने तेरे वो लाती है
@मीना गुलियानी 

क्यों तड़पा रही है

दिन ढल गया रात आई सोना है
मगर तेरी तस्वीर क्यों गा रही है

मैंने जीने की नई राह चुनी थी
वो मेरे करीब क्यों आ रही है

रात के दामन पे लिखे थे ख्वाब
तेरी याद आके क्यों तड़पा रही है
@मीना गुलियानी 

यह सन्नाटा

यह सन्नाटा मरघट जैसा हमें लगता है
बेहद डरावना सुनसान काटने लगता है
जाने कब तक धरा को सहना पड़ता है
इस पर सांस लेना भी भारी लगता है
 लाचारों का दुःख हृदय विदीर्ण करता है
प्रलय सदृश्य वातावरण ये लगता है
सब कुछ उसके हाथ जाने कब सुनता है
प्रतीक्षा है कब जीवन पटरी पर आता है
@मीना गुलियानी 

काश तूने कर लिया होता

 रुकने का वादा काश तूने कर लिया होता
तो आज यूँ दिल न  मेरा तड़प रहा होता
एहसास का मारा न दिल यूँ बेज़ार होता
रिश्ता हम दोनों का न यूँ तार तार होता
न यूँ सरे बाज़ार बेनकाब प्यार ही होता
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 15 अप्रैल 2020

जीवन के इस मोड़ पर

जीवन के इस मोड़ पर
वृद्धजनों को प्रेम स्नेह की
आकांक्षा है और कुछ नहीं
अपना सारा जीवन वो
संतान की परवरिश पर
गुज़ार देते हैं पर उनके
वृद्ध होने पर वही बच्चे
क्यों उन्हें ठुकराते हैं
उनका ध्यान नहीं रखते
जिसकी उन्हें जरूरत है
@मीना गुलियानी 

खर्चे कम नहीं होते

बनिये का बिल कभी दूध वाले का बिल
कभी राशन धोबी और डॉक्टर का बिल

हालत होती खस्ता बहुत ही ज्यादा खर्चा
भरूँ कहाँ से बिजली और पानी का खर्चा

खर्चे कम नहीं होते महंगाई की है मार
हम सब घर पर हैं नेटवर्क भी है बेकार
@मीना गुलियानी 

वो भी क्या दिन थे

वो भी क्या दिन थे अपने सुहाने
याद आते हैं अब वो गुज़रे जमाने
वो पेड़ों के झुरमुट में छिप जाना
उस झरने के पानी के नीचे नहाना
कितनी प्यारी तुम्हारी थीं वो बातें
आँखों ही आँखों में कट जाती रातें
वो मोहब्बत भरे दिलों की सौगातें
कोई लौटादे फिर से वो मुलाकातें
@मीना गुलियानी

दो किनारों की तरह

दो किनारों की तरह
जिंदगी ये बहने लगी
कहानी एक कहने लगी
ऐसा न जाने क्यों हुआ
ये दिल टुकड़ों में बँटा
एक दूसरे से जुदा वो
अलग अलग चलते रहे
आँखों में सपने उनके
पलते रहे मचलते रहे
जाने कब फासले मिटेंगे
कब दो किनारे मिलेंगे
 जिंदगी फिर मुस्कायेगी
गीत ये फिर गुनगुनायेगी
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

पीछे न हटेंगे

हमारे बढ़ते हुए कदम अब
मंजिल पे पहुंचकर रुकेंगे
मुसीबत का सामना करेंगे
यह ठान लिया है हमने भी
बिल्कुल भी पीछे न हटेंगे
@मीना गुलियानी 

चाँद मेरा हमसफ़र

शाम की तन्हाईयों में जब कोई
 दूर तक भी नज़र नहीं आता तब 
चाँद को अपना हमसफ़र बनाते हैं 
अपनी यादों का मेला हम सजाते हैं 
चाँद सितारों के साथ गुनगुनाते हैं 
@मीना गुलियानी 

हम सभी कतार में हैं

इन दिनों हम सभी कतार में हैं
अस्पताल में मरीजों की कतार
बचाव हेतु  वेंटिलेटर की कतार
कर्फ्यू पास बनवाने की कतार
गुरुद्वारे में लंगर खाने की कतार
राशन सब्ज़ी दूध लेने की कतार
@मीना गुलियानी

सोमवार, 13 अप्रैल 2020

चुप रहना

चुप रहना  ही बेहतर है
व्यर्थ विवाद उतपन्न हो
उससे चुप्पी श्रेयस्कर है
@मीना गुलियानी 

वक्त गुज़र जाने के बाद

निश्चित वक्त गुज़र जाने के बाद
मन में उदासी सी छा जाती है
समय पर काम न होने के कारण
उसका महत्व ही गौण हो जाता है
जैसे खलिहान सूख जाने के बाद
वर्षा होने का कुछ भी लाभ नहीं है
@मीना  गुलियानी 

आकाश हमारा है

ये आकाश  हमारा है
फैला उजियारा है
मिटा अँधियारा है
ये प्रकाश हमारा है
कल कल ये धारा है
झरना ये प्यारा है
झूमे जग सारा है
@मीना गुलियानी 

जलियांवाले बाग़

जलियांवाले बाग़ में इस दिन चली थी गोलियाँ
क्राँतिकारी बोल रहे सब इन्क़लाब की बोलियाँ
वतन पे मिटने वालों ने बाज़ी लगा दी जान की
ये मिट्टी है मेरे वतन की प्यारे हिन्दुस्तान की
@मीना गुलियानी 

मन करता है

मन करता है कहीं दूर चलें हम
दूर किसी गाँव में बस जायें हम
 चैन की बंसी बजायें भूलें ग़म
एक दूसरे में ही खो जाएँ हम
तेरे ही ख्यालों में डूब जाएँ हम 
@मीना गुलियानी 

रविवार, 12 अप्रैल 2020

प्रेम सीमा विहीन है

प्रेम सीमा विहीन है बंधन रहित है
जितना प्रेम करो उतना ही बढ़ता है
प्रेम का पक्का रंग ही उसपे चढ़ता है
रंग छूटता ही नहीं दिल में उतरता है
आस्था विश्वास से रब भी मिलता है
@मीना गुलियानी 

हर एक चेहरे के पीछे

हर एक चेहरे के पीछे
दूसरा चेहरा होता है
दर्दे दिल छुपा होता है
सबको वो दिखता नहीं
आँखों से बयां होता है
@मीना गुलियानी 

सिर्फ एक तेरी नहीं से

सिर्फ एक तेरी नहीं से
सारा जोश ठंडा पड़ गया
दिल का सुकूँ चला गया
मामला सारा बिगड़ गया
तू आया पर बिछड़ गया
कारवां ये तो उजड़ गया
दिल पे नश्तर चल गया
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 11 अप्रैल 2020

कदमों में आ गई मंजिल

कदमों में आ गई मंजिल
कुछ भी नहीं है मुश्किल
जब दिल में इरादा पक्का
मेहनत से करलें हासिल
@मीना गुलियानी 

तुम दूर हो मुझसे

कहने को तो तुम दूर हो मुझसे
पर दिल से दूर नहीं मैं तुझसे
तुम मजबूरी में दूर हुए मुझसे
सांसों की डोर बंधी रही तुझसे
@मीना गुलियानी 

ख़ामोशी

तुम्हारे होठों पे हँसी आते आते
क्यों ठिठक जाती सिहर जाती है
एक तूफ़ान सी ख़ामोशी फिर से
तुम्हारे हाथों में ही सिमट जाती है
@मीना गुलियानी 

एक तुम हो

एक हम हैं जां निसार करते हैं
एक तुम हो कि ऐतबार नहीं
यकीं था हमको तेरी चाहत पर
क्या इसके भी तलबग़ार नहीं
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

भागकर जाओगे भी कहाँ

तुम भागकर जाओगे भी कहाँ
 हरसू हैं छाये  प्यार के निशाँ
यही तेरी मंजिल पर तू कहाँ
आना पड़ेगा तुझे आखिर यहाँ
@मीना गुलियानी 

तेरी फ़िक्र होती है

कैसे तेरा न ज़िक्र करुँ तेरी फ़िक्र होती है
इस दिल को तेरी कमी महसूस होती है
तेरी सलामती की दुआ जुबां पर होती है
@मीना गुलियानी 

सहना पड़ता कष्ट अपार

राह कठिन खाण्डे की धार
सहना पड़ता कष्ट अपार
सत्य राह में दुःख  अपार
विचलित करता पारावार
कोई कोई हो सकता पार
जीवन करना पड़ता निसार
यीशु जी को याद करे संसार
@मीना गुलियानी 

खुदा से ये पूछना है

मुझे खुदा से ये पूछना है
यह सब क्यों हो रहा है
क्यों अपनों से अपना भी
अब जुदा सा हो रहा है
खून भी बन गया है पानी
रही न रगों में उसकी रवानी
आदमी आदमियत खो रहा है
ये सब क्या माज़रा हो रहा है
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

दुआएँ हमेशा काम करती हैं

बड़ों की दुआएँ हमेशा काम करती हैं
कोई साथी न हो तो ये साथ होती हैं
हमको हर मुसीबत से उबार लेती हैं
ये दुआएँ तो करामात भी करती हैं
@मीना गुलियानी 

मिल सके न हम

कितनी बहारें लिए आये तुम सनम
बड़ी बदनसीबी हुई मिल सके न हम
इस  तरफ जहाँ है उस तरफ हो तुम
सपने अधूरे को लिए सोच रहे हैं हम
@मीना गुलियानी 

जकड़ लेती है कोई बात

कभी जकड़ लेती  है कोई बात
जैसे हमारी अधूरी मुलाक़ात
आज तक भी भुला न पाई
ऐसे बिगड़े थे तब हालात
जाने कब समझोगे जज़्बात
@मीना गुलियानी 

मन मेरे किस बात का है डर

मन मेरे किस बात का है डर
तेरे साथ है अपना सारा घर
मत करोना से इतना तू डर
संयम से रह प्रभु चिंतन कर
शुद्ध आहार ले प्राणायाम कर
 लक्ष्मणरेखा को तू न पार कर
सकारात्मक रह चिंता न कर
सुरक्षा नियमों का पालन कर
@मीना गुलियानी  

बुधवार, 8 अप्रैल 2020

बैशाखी है आई

हुआ आगमन ग्रीष्म ऋतु का
आम्रमंजरी ने भी ली अंगड़ाई
नीम के वृक्ष ने निंबौली बिखराई

सुबह सूर्योदय से पूर्व की शीतल
बयार सबके मन को अति भाई
दोपहर में गर्मी ने तपन बढ़ाई

खेतोँ में होने लगी फसलों की कटाई
नई पौध के लिए भी होने लगी रोपाई
ढाणी चुनरिया पहन धरती मुस्काई

किसानों के दिल में उमंग मस्ती छाई
ढोल गिद्दा भाँगड़ा नृत्य ने रौनक लगाई
खुशियाँ मिलके मनाओ बैशाखी है आई
@मीना गुलियानी
जगतपुरा जयपुर 

सब्र रख ले तू ऐ मन

इतना उतावला मत हो तू ऐ मन
थोड़ा सा तू सब्र रख ले तू ऐ मन
 पँखोँ में हौंसलों की उड़ान भर मन
छू लेगा आज फिर तू नील गगन
@मीना गुलियानी 

गुजरता ही नहीं इक पल

गुजरता ही नहीं इक पल साजन तेरे बिना
मुझे कुछ भी न भाये चैन न आये तेरे बिना
@मीना गुलियानी 

समय कभी नहीं रुकता

समय कभी नहीं रुकता रुकने का भ्रम होता है
मानव भले ही रुक जाए समय चलता रहता है
सभ्यता ,युग,साम्राज्य  परिवर्तन होते रहते हैं
यह तो परिवर्तनशील है इतिहास बदलता है
सुख दुःख आते हैं मौसम परिवर्तित होते रहते हैं
समय का भरोसा नहीं किसी के लिए नहीं रुकता है
जीवन मरण समयानुसार पूर्व से निर्धारित होता है
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

प्यारी नर्स

प्यारी नर्स मरीज की हो ढाल
धन्य तुम्हारा ह्रदय बिशाल
करती प्रेम से तुम उपचार
सबसे अच्छा है व्यवहार
अपने फर्ज़ को निभाती हो
रोगियों की जान बचाती हो
दवा आक्सीजन तुम देती हो
अपने परिवार से भी ज्यादा
मरीजों का रखती हो ध्यान
तुम्हारा समर्पण है महान
तुमसे ही राष्ट्र का कल्याण
@मीना गुलियानी 

प्रिय पाठकगण

प्रिय पाठकगण

मुझे बताते हुए हर्ष हो रहा है कि प्रतिलिपि एप हिंदी
पर मेरी कविताओं को 3049  लोगों द्वारा पढ़ा गया
जिसमे कुल शब्द हैं  130776  इसके अतिरिक्त मैं
Your Quotes App  पर भी अपनी कविताएँ भेजती
हूँ  अमर उजाला काव्य में भी कुछ रचनाएँ पूर्व में
प्रकाशित हो चुकी हैं  :

आप सभी का स्नेह एवं सहयोग मिलता रहे यही
आशा करती हूँ

सादर

मीना गुलियानी 

तुमको इतनी भी फुरसत नहीं

हाल पूछते हमारा तुमको इतनी भी फुरसत नहीं

इतनी मसरूफ़ियत भी इश्क में होती अच्छी नहीं
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 6 अप्रैल 2020

कभी हार न मानो

वक्त बदलेगा कभी हार न मानो
मुश्किलें आएँगी चिराग जलाओ
जिंदगी के फूल आँधी से बचाओ
ग़मों को छिपाकर तुम मुस्काओ
@मीना गुलियानी 

जीवन एक खुली किताब है

मेरा जीवन एक खुली किताब है
इसमें भावनाओं का समुन्द्र है
सुख दुःख की लहरें मचल रही हैं
उम्मीदों की किश्ती चल रही है
आशा किरणें उजाला कर रही हैं
मैंने स्वछंद वातावरण में लिखा है
सभी व्यंजनाओं से ये मुक्त है
किसी के लिए ये प्रेरणास्त्रोत है
किसी का ये मनोरंजन करती है
इसे पढ़ने वाला किस रूप में देखे
 उसकी विचारशीलता पर निर्भर है
@मीना गुलियानी

जिंदगी की ख़ुशी के लिए

जिंदगी की ख़ुशी के लिए
इक बार झलक दिखा जाओ
चाहे बोलो या तुम चुपचाप रहो
नज़रों से नज़र तो मिला जाओ
जब तार दिलों के मिल ही गए
सरगम को सजाने आ जाओ
@मीना गुलियानी 

कितना वक्त चाहिए तुमको

कितना वक्त चाहिए तुमको
टूटे रिश्ते जोड़ने को तुमको
किया वादा निभाने को तुमको
यहाँ वापिस लौटने को तुमको
मुझसे बात करने को तुमको
 मुलाक़ात करने को तुमको
@मीना गुलियानी 

रविवार, 5 अप्रैल 2020

चले आओ

दिल का रिश्ता जुड़ा नसीबों से
घुट रहा हूँ मैं तन्हा चले आओ
मेरी जिंदगी भी मुस्कुरायेगी
खुशियों को लुटाने चले आओ
@मीना गुलियानी 

हमें क्या

हमें क्या ये कहकर पल्ला मत झाड़िए
समस्याओं से जूझकर निपटारा करिए
मानवता दया भावना सीढ़ी पर चढ़िये
बढ़ाइए उन्नति की ओर कदम न डरिए
दीजिए अपना सहयोग न पीछे मुड़िए
@मीना गुलियानी 

कोई कब तक जागे

कोई कब तक जागे तेरे इंतज़ार में

सहर होने को आई डूबे तेरे प्यार में
@मीना गुलियानी 

इस दुनिया में

इस दुनिया में आकर सुख से जीने के लिए
आसान नहीं था आकाश अपना तलाशना
आसान नहीं था मन का रास्ता नापना
क्योंकि हर नज़र प्रश्न पूछ रही थी
उस पर मेरी ख़ामोशी जुबान बन गई
मेरी हसरतों ने मुझे बेज़ार कर दिया
मँझधार को ही अपना साहिल बना दिया
@मीना गुलियानी 

सिर्फ नौ मिनट के लिए

सिर्फ नौ मिनट के लिए
जन कल्याण के लिए
एक दीपक जलाना है
अन्धकार मिटाना है
उजियारे को  लाना है
करोना को  हराना है
विश्वास को जगाना है
अंतर्मन को जगाना है
संकट को मिटाना है
@मीना गुलियानी


दिलचस्प है दिल का सफर

दिल को बना लेते हैं अपना घर करते उसमें बसर

न किसी की परवाह न कोई डर न कोई होती फ़िक्र

चाँद सितारों में घूमते दिलचस्प है दिल का सफर
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 4 अप्रैल 2020

लापरवाही मत बरतो

लापरवाही मत बरतो कुछ तो ख्याल करो
अपने परिवार का भी कुछ तो ध्यान करो
सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन करो
सबको इसे समझाओ खुद संयम से रहो
कोई न बाहर निकले ये तुम ख्याल करो
योग,व्यायाम अपनाकर सब स्वस्थ रहो
रात को दीप जलाओ कुछ योगदान करो
@मीना गुलियानी 

अगर मैं भूल भी जाऊँ

अगर मैं भूल भी जाऊँ
तो तुम न भूल जाना
मेरे सपनों में आ जाना
दिए वादे को निभाना
दिल को तोड़ न जाना
इस साथ को निभाना
@मीना गुलियानी 

शाम से इंतज़ार रहता है

शाम से तेरा ही इंतज़ार मुझे  रहता है
तुझसे मिलने को दिल बेकरार रहता है

तुम्हारा चेहरा सब कुछ बयां करता है
जो तुम्हारा मन गुस्ताखियाँ करता है

जज़्बातों का झरना दिल में बहता है
दिल पर धड़कन का पहरा रहता है
@मीना गुलियानी




मुझमें अभी तू ज़िंदा है

तुम मेरे पास नहीं हो
फिर भी पास होने का
एहसास मुझे होता है
हर पल तुम्हारी यादों का
मेला सा लगा होता है
हर वो लम्हा मेरे लिए
बहुत ही खास होता है
जो एहसास कराता है
मुझमें अभी तू ज़िंदा है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

आलस्य बिल्कुल नहीं


आराम से स्फूर्ति आती है थकान उतरती है
आलस्य से मानव में निष्क्रियता आती है
आराम से मानव पुन: काम में जुट जाता है
आलस्य से वो चादर तानकर सो जाता है
आराम में सुखद अनुभूति है आलस्य में नहीं
इसलिए आराम करो आलस्य बिल्कुल नहीं
@मीना गुलियानी 

दुआ है

दुआ है यही कि सलामत सारा संसार रहे

पायें कष्टों से मुक्ति हँसता परिवार रहे
@मीना गुलियानी 

दुआ कर

दुआ कर उससे जो है सारे जहाँ का वाली

भरी सबकी झोली कोई भी लौटा न खाली
@मीना गुलियानी 

दुनिया को आज इसकी ज़रूरत है

दुनिया को आज इसकी ज़रूरत है

अखण्डता बनाये रखने की है

दूरियों में प्रेमभाव बनाने की है

वैमनस्य दूर करने की जरूरत है

दीपक की लौ से लौ जलाने की है
@मीना गुलियानी 

सोचता बहुत है दिल

आज सोचता बहुत है दिल
अपने मन की करता दिल
मेरी नहीं मानता है दिल
घर बैठके बोर हुआ दिल
घूमने को मचलता है दिल
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

मिटता बनता रहता है

प्रकृति का यही अटल नियम है
यहाँ सदा मिटता बनता रहता है
देश का इतिहास बदलता रहता है
ऋतुओं का क्रम चलता रहता है
पृथ्वी पर मानव जन्मता मरता है
पशु पक्षियों का स्वभाव बदलता है
फूलों वृक्षों का मौसम बदलता है
क्षरण पश्चात पत्ता निकलता है
हज़ारों साल में युग बदलता है
मिट्टी से जन्म उसी में लीन होता है
समय का पहिया चलता रहता है
@मीना गुलियानी




रात ये कहकर छेड़ती है

रात ये कहकर छेड़ती है मुझे
अब तुम मीठी नींद सो जाओ
हसीन सपनों को तुम सजाओ
साजन को तुम सपनों में बुलाओ
कल फिर मिलने मुझको आओ
@मीना गुलियानी 

यादें

तमाम यादें फिर से उभर आती हैं

बीते  पलों की याद दिलाती हैं

दुनिया का वजूद हम भूल जाते हैं

अपनी यादों का मेला सजाते हैं
@मीना गुलियानी 

आदत सी हो जाती

आदत सी हो जाती है सब सह जाने की

पलकों में कैद करके आँसू मुस्कुराने की
@मीना गुलियानी 

तुम्हारी जुबाँ से गर मैं सुनूँ

तुम्हारी जुबाँ से गर मैं सुनूँ कि तुम आओगे
तो तुम्हें दिल में बिठाके बातें मैं चंद कर लूँ

दिल का हाल तुम खुद ही जान जाओगे
छोड़के मुझको बोलो कैसे अब तुम जाओगे
बच न पाओगे रास्ता जो बंद कर  लूँ

खोलूँगी न पलकें तुम लाख बुलाओ
जानती हूँ भेद तेरे अब न सताओ
आँखें चोरी चोरी खोलूँ फिर बंद कर लूँ
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

श्री राम से सीखिए

श्री राम से सीखिए बड़ों का सम्मान
कैसे करते मर्यादा पालन अविराम
उनके भ्राता प्रेम का करते गुणगान
एकपत्नीव्रत निभाया जीवन संग्राम
वचनभंग न किया रखा उसका मान
 गौरवगाथा से भारतभूमि हुई महान
@मीना गुलियानी 

रात से गले मिलकर

रात से गले मिलकर
सुबह यूँ रोई जार ज़ार
सबके हृदय हुए तार तार
 क्रन्दन से मचा हाहाकार
करोना का बड़ा है आकार
श्री राम कृपा से हो उद्धार
@मीना गुलियानी 

ऐ शाम हमसे कुछ तो बोल

ऐ शाम हमसे कुछ तो बोल
मेरे कानों में मधुर रस घोल

जाने कब पिया जी घर आएँ
अन्तर्मन को रही मैं टटोल

 बाट हेरत मोरी थकी अखियाँ
मोरी सखियाँ उड़ावें हैं मखौल
@मीना गुलियानी 

शाम होते होते

तुम्हारी याद आई शाम होते होते
बुझने लगा चिराग शाम होते होते

ग़म के दरवाजे भी खुलने लगे
तेज हवा का रुख होते होते

जाने कौन कैसे दिल में समाया
टूटे सब ख़्वाब पूरे होते होते
@मीना गुलियानी 

होंसले

जिनके होंसले बुलंद होते हैं वो
निखर जाते हैं बुज़दिल बिखर जाते हैं
@मीना गुलियानी 

जिंदगी ठहर जा

दिल की क़शमक़श और उलझनों में 
उम्मीद की अपनी मैंने ढाल बनाई है 
जिंदगी तुझसे आगे निकलने को 
मैंने भी तो अपनी रफ्तार बढ़ाई है 
तुझसे  खेलने में मज़ा आने लगा है 
जीतने के लिए हौसला अफ़्जाई है 
माना कि कुछ पल ग़म के मिले हैं 
सुनहरे पलों ने कीमत चुकाई है 
@मीना गुलियानी