हुए परदेसी तुम बात न होने पाई
@मीना गुलियानी
चल दिए तुम मुलाकात न होने पाई
मेरे दिल ने अब फिर से ये दुआ दी है
मिटते मिटते भी तुझे जीने की सदा दी है
छलकती आँखों से बरसात न होने पाई
मेरी हसरतों ने घुट घुटके जीना सीख लिया
तुझपे आये न हरफ़ होंठ सीना सीख लिया
बेवफा तुम थे ये फरियाद न होने पाई
जिंदगी जैसे भी गुजरेगी जी ही लेंगे हम
तुझको रुसवा न होने देंगे यही लेते हैं कसम
थामा दामन तेरा करामात न होने पाई