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गुरुवार, 27 अक्टूबर 2016

प्रेम की दुनिया बसाओ

आज मेरी कल्पना में आकर
मेरी कविता में समा जाओ
खोल दो तुम हृदय कपाट
मेरी धड़कनों में बस जाओ

                         छोड़ दो हर प्रपंच निष्कपट निष्कलंक
                         बनकर आज तुम मुझको दिखाओ
                         दूर करके हर उदासी मेरी पीड़ा को मिटाओ
                          सारे दुर्गुण त्यागकर प्रेम की दुनिया बसाओ

जहाँ सिर्फ आस हो विश्वास हो
ऐसा इक जहाँ तुम भी बसाओ
जहाँ आत्मा और परमात्मा मिलें
ऐसा प्यारा घर तुम भी बनाओ
@मीना गुलियानी 

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