यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 2 अक्टूबर 2016

माता की भेंट -----16

किस रँगया दुपट्टा मैया तेरा ,कि गुलानारी किस रँगया 

ऐ दुपट्टा वेख देवते वी हसदे 
छन सूरज ते तारे पये ने नचदे 
नाले बोलदे  मैया दा जयकारा ,-------------कि गुलानारी किस रँगया

ऐ दुपट्टा तकदीर गरीबां दी 
तार तार विच  झलक नसीबा  दी 
कट देंदा चौरासी वाला घेरा ---------------,कि गुलानारी किस रँगया

रब मेनू कदी  गोटा च बनावंदा 
खो खो सुई मैं दुपट्टे नूँ सजावन्दा 
नित मैया दे सर उते सजदा --------------,कि गुलानारी किस रँगया

ऐ दुपट्टा मन ध्यानु जी दे भाया सी 
कट सीस तेरी भेंट चढ़ाया सी 
नाले बोलदा मैया दा जयकारा ------------,कि गुलानारी किस रँगया
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें