यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

ओ साजन आ जाना

आ जाना मेरे द्वार ओ साजन आ जाना
अपना लुटाना प्यार झलक दिखला जाना

कबसे हैं मेरे नैना प्यासे
दर्श  तेरे बिन कल नहीँ पाते
सुनके मेरी पुकार मेरे घर आ जाना

कबसे साजन तुझको पुकारूँ
घड़ी घड़ी मैं रास्ता निहारूँ
आ जाना इक बार न मुझको तरसाना

भर भर आये मोरे नैना
 कबहुँ न पाए इक पल चैना
थक गई पंथ निहार तू अब तो आ जाना 
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें