कब आओगे तुम मोरे आँगन
@मीना गुलियानी
तुमने तो बिसरा दिया साजन
राहों में हम नैन बिछाए बैठके
दिन गिनते तेरी याद में साजन
रोज़ ही देखा करते हैं दर्पण
याद में तेरी सँवरते हैं हम
न जाने कब आओ किसी क्षण
इसी कल्पना में गुज़रे हर क्षण
हर पल तेरी याद में खोना
अखियों का चुपके से रोना
आँखों से बरसता वो सावन
भिगो देता मन का हर कोना
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