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बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

दिन गिनते तेरी याद में साजन

कब आओगे तुम मोरे आँगन 
तुमने तो बिसरा दिया साजन 
राहों में हम नैन बिछाए बैठके 
दिन गिनते तेरी याद में साजन 

रोज़ ही देखा करते हैं दर्पण 
याद में तेरी सँवरते हैं हम 
न जाने कब आओ किसी क्षण 
इसी कल्पना में गुज़रे हर क्षण 

हर पल तेरी याद में खोना 
अखियों का चुपके से रोना 
आँखों से बरसता वो सावन 
भिगो देता मन का हर कोना 
@मीना गुलियानी 

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