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बुधवार, 19 अक्टूबर 2016

अस्तित्व अपना भुला दो

आज मेरे सूनेपन को आँसुओं में तुम बहा दो

अपनी तमन्नाओं से तुम मेरा एकांत जगा दो

मेरी निराशा बढ़ने से पहले फूल आशा के बिखरा दो

मेरे दुःख भरे जीवन में तुम प्रेम सुधा छलका दो

अपने करुणाजल से मेरे जीवन को नहला दो

दिले  नादां को फुरकत में तुम ज़रा बहला दो

मेरी अंतहीन वेदना पर तुम अपनापन बिखरा दो

मेरे प्राणों के कम्पन में खोकर अस्तित्व अपना भुला दो
@मीना गुलियानी 

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