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रविवार, 2 अक्तूबर 2016

माता की भेंट ----19

मुझे आस तेरी माता न निराश मुझे करना
सब कष्ट हरो मेरे आँचल की छाँव करना

मेरे मन के द्वारे में आ करलो बसेरा माँ
तेरी जोट जले मन में हो दूर अँधेरा माँ
मैं  आया शरण तेरी मुझे दर्श दिखा देना

मेरी आस का बन्धन माँ कहीँ टूट न जाए
क्या सांस का भरोसा पल आये कि न आये
मेरे नैना प्यासे हैं मेरी प्यास बुझा देना

सब देख लिया जग को माँ कोई नहीँ अपना
सब झूठे नाते हैं कग सारा इक सपना
मैं भटका राही हूँ तू नज़रे करम करना
@मीना गुलियानी 

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