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बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

अब तनिक विश्राम कर लो

मेरे हृदय में समाकर तुम ज़रा विश्राम कर लो 
है जो तेरा मन व्याकुल उसका सन्ताप हरलो 

छोड़ दो दर दर भटकना भूल जाओ हर गली 
पास बेठो तुम हमारे क्लान्त मन शान्त करलो 

मेरा हृदय है विशाल बरगद की छाँव जैसा 
बैठो  छांव में इसकी मन की बाधाएं हरलो 

टहनियां इसकी विशाल फैला हुआ है चारों ओर 
बैठकर तुम नीचे इसके ताप सारे मन के हरलो 

मीठे बोल सुनाते हैं सब  पंछी विचरते जो यहाँ 
सुनके इनकी प्रेम वाणी पीड़ा अपनी दूर करलो 

वेदना के कोई भी सुर तुम सुन न पाओगे यहाँ 
सुख ही सुख पाओगे तुम तनिक विश्राम करलो 
@मीना गुलियानी 


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