वो तेरा चुपके से चले आना
मेरी आँखे हथेली से दबाना
फिर धीरे धीरे से मुस्कुराना
और पल्लू से चेहरा छुपाना
याद आती हैं तेरी सारी वो बातें
वो तेरा नटखट भोलापन वो घातें
वो हिरनी की तरह कुलाँचे भरना
सीढ़ियों से उछलकर के कूद पड़ना
आया मौसम ये कितना सुहाना
याद आया वो गुज़रा ज़माना
छू लिया था हमने आसमाँ भी
जब तू मुझपे हुई मेहरबाँ थी
अब न जाने कहाँ वो समां है
सब ये गुज़री हुई दास्तां है
जाने क्यों टूटे सारे वो सपने
जो कभी हुआ करते थे अपने
@मीना गुलियानी
मेरी आँखे हथेली से दबाना
फिर धीरे धीरे से मुस्कुराना
और पल्लू से चेहरा छुपाना
याद आती हैं तेरी सारी वो बातें
वो तेरा नटखट भोलापन वो घातें
वो हिरनी की तरह कुलाँचे भरना
सीढ़ियों से उछलकर के कूद पड़ना
आया मौसम ये कितना सुहाना
याद आया वो गुज़रा ज़माना
छू लिया था हमने आसमाँ भी
जब तू मुझपे हुई मेहरबाँ थी
अब न जाने कहाँ वो समां है
सब ये गुज़री हुई दास्तां है
जाने क्यों टूटे सारे वो सपने
जो कभी हुआ करते थे अपने
@मीना गुलियानी
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