यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

कहूँ मैं वचन ज्यों नाविक तीर

सजन तुम आना यमुना तीर
वहाँ पर हरना सबकी पीर
सारी सखियाँ तुम्हें बुलायें
कबसे बैठी आस लगाएं

तुमसे बात कहूँ गम्भीर
नहीँ अब चुप रह पाती हूँ
तुम्हें मैं सब बतलाती हूँ
सजन ले चलो मुझे उस तीर

मेरी सखियाँ हँसी उड़ाएँ
तुमको देख देख मुस्काएँ
मुझसे ये सब देखा न जाए
ले  चलो संग तो आए धीर

सुनो तुम आज हमारी बात
हमारा व्याकुल हो गया गात
बिसरूं न तुमको मैं दिन रात
कहूँ मैं वचन ज्यों नाविक तीर
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें