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शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016

अच्छी नहीँ बात है

दिल में ही बसना और चुप रहना
अच्छी नहीँ बात है जी अच्छी नहीँ बात है
हर पल सोचना कुछ नहीँ कहना
बड़ी बुरी बात है जी बड़ी बुरी बात है

सोचते ही सोचते मैं तो यहाँ खो गई
दिन कैसे ढल गया रात देखो हो गई
कैसे मिलेंगे हम क्या क्या कहेंगे हम
सोचने की बात है जी सोचने की बात है

जब तक मिले न थे कितने आराम थे
तन्हा रहे तो न  थे गम  न हैरान थे
मिलने से गया सुकून दिल में भरा जनून
सोचने की बात है जी सोचने की बात है
@मीना गुलियानी 

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