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सोमवार, 24 अक्टूबर 2016

प्रेम सुधा इतनी बरसा दो

आज  तुम फिर अपने प्यार से
मेरी बगिया को महका  दो
खिल जाएँ सब फूल यहाँ के
प्रेम सुधा इतनी बरसा  दो

तन मन मोरा महक भी जाए
प्रेम का रस उस पर टपका दो
दिल का कोना रहे न रीता
अमृत की बूँदे छलका  दो

हो जाए ये धरा आनन्दित
गीत मधुर कोई ऐसा गा  दो
हों खगवृन्द भी दीवानो से
दो घूँट इनको भी पिला दो
@मीना गुलियानी 

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