दिल ये मेरा दिल तो बस दीवाना ही था
उसने तुमको जाना और पहचाना भी था
न जाने हमारे अरमां क्यों बिछुड़कर रह गए
तुमको न जाने किस दूर डगर जाना भी था
मौसम भी था खुशनुमा और इस मौसम की शाम
अजनबी से तुम रहे क्यों तुमको भी आना ही था
दिल की भष्ट ही थी जो दरम्यां हमारे आ गई
दिल नादां को फुरकत में कुछ बहलाना भी था
इक ख्याल कुछ लम्हे मुझसे लिपटता ही रहा
कुछ समय उस लम्हे को मुझे यूँ तड़पाना ही था
@मीना गुलियानी
उसने तुमको जाना और पहचाना भी था
न जाने हमारे अरमां क्यों बिछुड़कर रह गए
तुमको न जाने किस दूर डगर जाना भी था
मौसम भी था खुशनुमा और इस मौसम की शाम
अजनबी से तुम रहे क्यों तुमको भी आना ही था
दिल की भष्ट ही थी जो दरम्यां हमारे आ गई
दिल नादां को फुरकत में कुछ बहलाना भी था
इक ख्याल कुछ लम्हे मुझसे लिपटता ही रहा
कुछ समय उस लम्हे को मुझे यूँ तड़पाना ही था
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