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बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

माता की भेंट -2 --लख चौरासी के हैं फेरे


आजा माँ ----- ---जगदम्बे
मैं तो कबसे खड़ी तेरे द्वार
मईया आके सुनले पुकार 

मैं तो मईया तेरी दासी , अखियाँ दर्शन की हैं प्यासी
दूर करो मेरे मन की  उदासी

छाए हैं चारों ओर अँधेरे , दर्शन देकर कर दो सवेरे
मिट जाएँ माँ सब ग़म मेरे

तेरा दर्शन जब मैं पाऊँ , तन मन अपना भेंट चढ़ाऊँ
तेरी महिमा निशदिन गाऊं

तुम बिन मेरा कोई न दूजा , करूँ मैं निशदिन तेरी पूजा
तेरे सिवा  न भाए दूजा

मईया जी हम बालक तेरे ,माया जाल के काटो घेरे
लख चौरासी के हैं फेरे
@मीना गुलियानी 

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह मीना जी बहुत सुन्दर माता की भेंट 🙏

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  2. माँ के चरणों मिएँ सुन्दर आरती है ...
    माँ सबकी पुकार सुनती है ... आपके शब्दों में हमारी भी कृतग्य प्रार्थना है ...

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