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गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

विश्वास से इसे पनपाया है

मैंने अपनी वफाओं का दीपक
गमों की आँधियों में जलाया है
अपने दामन में उसे छुपाया है
तेज़ हवा के झोकों से बचाया है
अपनी तमन्नाओं से सजाया है
सुरभित फूलों से महकाया है
भावनाओं का घरोंदा बनाया है
तिनके जोड़के आशियाँ बनाया है
तितलियों के रंगों से रंगाया है
जुगनु की रोशनी से चमकाया है
चंदा की रोशनी से जगमगाया है
सूरज की किरणों से नहलाया है
प्रेम से इसे मैंने सदा सहलाया है
अटूट विश्वास से इसे पनपाया है
@मीना गुलियानी 

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