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शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

लुटे न कभी कारवां किसी का

ओ ऊपर वाले सुनले अफसाना बेकसी का

तेरे सामने खड़ा हूँ हाथों को मैं फैलाए
भरदे तू झोली सबकी जो आस हैं लगाए
खाली न तू लौटाना दामन कभी किसी का

अफसाना सुन मेरा तू ऐ दो जहाँ के वाली
गिरतों को दे सहारा लौटाना न दर से खाली
मिले सबको ही सहारा तेरी ही बंदगी का

मतलब की सारी दुनिया मतलब के सारे नाते
दाता तू रहम करना जो भी दर पे तेरे आते
मंजिल पे ही लुटे न कभी कारवां किसी का
@मीना गुलियानी 

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