उठाके सर को नज़र मिलाके जीना तुमने सिखा दिया
लबों पे मेरी हँसी को फिर से तुमने आके जगा दिया
न होश खोये न पल गंवाए
कहीं भी कुछ भी न भूल पाए
ख्वाबों में आके मुझे जगाके
मुस्कुराना फिर सिखा दिया
हैं पल सुहाने तुम्हें जो पाया
दिल में हमने दिया जलाया
बुझा न पाएगी कोई आँधी
शमा को ऐसे जला दिया
पकड़ा जो तेरी वफ़ा का दामन
छुड़ाए कोई है किसमें दम
खुशियों भरी है दिवाली आई
आँगन ये जगमगा दिया
@मीना गुलियानी
लबों पे मेरी हँसी को फिर से तुमने आके जगा दिया
न होश खोये न पल गंवाए
कहीं भी कुछ भी न भूल पाए
ख्वाबों में आके मुझे जगाके
मुस्कुराना फिर सिखा दिया
हैं पल सुहाने तुम्हें जो पाया
दिल में हमने दिया जलाया
बुझा न पाएगी कोई आँधी
शमा को ऐसे जला दिया
पकड़ा जो तेरी वफ़ा का दामन
छुड़ाए कोई है किसमें दम
खुशियों भरी है दिवाली आई
आँगन ये जगमगा दिया
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह!!खूबसूरत रचना मीना जी !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना आदरणीया
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