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मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

रणचण्डी बन सामना करेगी

नारी तू नहीं है निर्बल
तू तो सदा से सबल
देवों की तू है जननी
तुझसे मिले सबको बल
तू है वरदायिनी आदिशक्ति
अन्नपूर्णा और सती सावित्री
तू ही विश्व की कर्त्ता भर्ता
तू पुरुष की अनुगामिनी सहभागिनी
तू है  पुरुष का संबल पर
वो तुझसे हमेशा करता छल
युगों युगों से छलता आया है
हर युग में तूने पीड़ा पाई है
तू  मोक्षदायिनी मुस्काई है
कभी द्रौपदी कभी सीता के रूप में
तूने पीड़ा  को झेला है पर तूने
कभी हार न मानी विजय पाई है
पुरुषों की प्रवृति कब सुधरेगी
हमेशा नारी पर कुदृष्टि डाली है
कभी चीरहरण अपहरण बलात्कार
सब अत्याचार व्यभिचार नारी पर हुए
पर अब और नहीं सहेगी अब वो
दुर्गा का रूप धरेगी हर अत्याचार का
दुराचार का रणचण्डी बन सामना करेगी
@मीना गुलियानी 

2 टिप्‍पणियां:

  1. दुर्गा का रूप धरेगी हर अत्याचार का
    दुराचार का रणचण्डी बन सामना करेगी
    वाह बहुत सुंदर रचना

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  2. Absolutely True. Almighty God N Goddess Blessings to you and your sweet loving family and friends. JAI MATA DI 🌹🙏 🌷🙏 🌹

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