तुझे छोड़ कहाँ जाऊँ माँ मैंने ढूँढा ये सारा जहान है
अब तो ये सारा जीवन मैंने लिख दिया तेरे नाम है
तेरे बिना मैं चैन न पाऊँ रोते रोते वक्त कटे
हर पल तेरी याद में गुज़रे दिन बीते यूँ रात कटे
यूँ ही जीवन बिताऊँ सुबो शाम है तेरे बिन कहाँ आराम है
जाने कौन सी गलती पर तू रूठ गई है अब मुझसे
हूँ नादान तेरा बच्चा माँ अब तो मान जा माँ मुझसे
तेरे चरणों में मेरा प्रणाम है यही विनती करूँ आठों याम है
माँ बेटे का पावन नाता हर नाते से ऊँचा है
तुझको अपना माना मैंने हर नाता अब झूठा है
दुनिया स्वार्थ का नाम है सबको पैसे से काम है
@मीना गुलियानी
माँ के चरणों में नित नई भेंट ...
जवाब देंहटाएंमाँ की कृपा बनी रहे .... उसके आँचल में जगह मिलती रहे ...
सुंदर रचना ...