रेशमा और प्रेम दोनों शादी के बंधन में बंधने ही जा रहे थे कि अचानक उनके बीच में उषा आ गई जिसने कि समय पर आकर प्रेम के झूठे नाटक का जो उसने उषा से भी किया था और फिर अपने खेल खेलकर वो भाग गया था। उसने उषा को भी अपने जाल में फंसा कर बहुत से पैसे ऐंठ लिए थे। रेशमा भी भोली भाली लड़की थी जो उसके चंगुल में फंस गई थी किन्तु उषा ने उसे बचा लिया। उषा की तो प्रेम ने जिंदगी ही तबाह करके रख दी थी वो उसके बच्चे की माँ बनने वाली थी जो बिन ब्याही माँ थी। उस पर तरह तरह के लांछन प्रेम की वजह से लगने वाले थे। इसलिए उसने बिल्कुल सही वक्त पर जब उन दोनों के फेरे होने जा रहे थे। प्रेम का सारा कच्चा चिट्ठा रेशमा के आगे खोल दिया। दोनों के परिवार वालों को भी इन बातों का पता नहीं था। प्रेम तो एकदम उसे देखकर हकबका रह गया था। किसी जमाने में रेशमा और उषा सहेलियाँ हुआ करती थीं पर रेशमा को भी आज उषा के आने पर ही उनकी प्रेम कहानी इतनी आगे बढ़ चुकी थी का पता चला।
खैर अब तो प्रेम को ही सारा फैंसला लेना था उसके ऊपर रेशमा और उषा दोनों के परिवारों का दबाव था कि जिसकी जिंदगी उसने तबाह की है उसे न्याय मिलना चाहिए। बच्चा जो जन्म लेगा उसे उसका बाप मिलना जरूरी है। सारी वेदी सजी हुई थी पंडित जी भी थे प्रेम का परिवार भी था। अब मजबूरन प्रेम को उषा से ही उसी मंडप में शादी करनी पड़ी। यह सारा घटनाक्रम अचानक ही घटित हुआ लेकिन इससे उषा को न्याय मिला और रेशमा का जीवन नष्ट होने से बच गया। क्योंकि पता नहीं फिर प्रेम कुछ और भी गुल खिलाता। जो भी हुआ सब ठीक हो गया था।
@मीना गुलियानी
खैर अब तो प्रेम को ही सारा फैंसला लेना था उसके ऊपर रेशमा और उषा दोनों के परिवारों का दबाव था कि जिसकी जिंदगी उसने तबाह की है उसे न्याय मिलना चाहिए। बच्चा जो जन्म लेगा उसे उसका बाप मिलना जरूरी है। सारी वेदी सजी हुई थी पंडित जी भी थे प्रेम का परिवार भी था। अब मजबूरन प्रेम को उषा से ही उसी मंडप में शादी करनी पड़ी। यह सारा घटनाक्रम अचानक ही घटित हुआ लेकिन इससे उषा को न्याय मिला और रेशमा का जीवन नष्ट होने से बच गया। क्योंकि पता नहीं फिर प्रेम कुछ और भी गुल खिलाता। जो भी हुआ सब ठीक हो गया था।
@मीना गुलियानी
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