शारदा और ममता दोनों एक ही कालेज की पक्की सहेलियाँ थीं। उनके घर वाले भी अक्सर कहा करते थे कि भगवान करे इनकी दोस्ती सलामत रहे और एक ही घर में जिसमें दो भाई हों वहाँ इनकी शादी हो जाए। लेकिन आदमी कुछ सोचता है पर होता वही है जो मंज़ूरे खुदा होता है। कालेज की पढ़ाई करते करते उन दोनोँ की दोस्ती भी विनय और रमेश जो कि किसी फ़र्म में इंजीनियर थे उनसे हो गई। कालेज की छुट्टी के वक्त दोनोँ अपनी गाड़ियाँ लेकर आ जाते थे और फिर थोड़ा बहुत सैर सपाटा हो जाता था। विनय शारदा को चाहता था और ममता रमेश को चाहती थी। उन लोगोँ ने आपस में कभी भी अपने इश्क का इज़हार नहीं किया था। सब यही सोचते थे कि जल्दी क्या है कह देंगे। कई बार कहते कहते देर होने से अंधेर हो जाता है। यहाँ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। हुआ यूं कि धीरे धीरे जितना वो आपस में बातचीत में खुलने लगे थे तो उन्हें लगा कि शायद वो दोनों उनके लिए नहीं बने हैं।
अब इसका उल्टा हो गया शारदा को लगने लगा कि जैसे रमेश अब उसकी चाहत बनता जा रहा है उसकी लच्छेदार बातें सुनकर उसे अच्छा लगता था। ममता को अब शारदा से ईर्ष्या होने लगी थी उसको लगा कि वो दोनों पर डोरे डाल रही है। उधर विनय के घर वाले भी विनय पर जल्दी से कोई लड़की पसंद करने का दबाव डालने लगे ताकि उसकी शादी हो जाए तो फिर वो विनय की बहिन गीता की शादी भी करें। ममता भी असमंजस में थी। रमेश का ट्रांसफर आगरा हो गया था दो महीने के अन्दर उसे नया पद संभालना था उसकी प्रोमोशन हो गई थी। जब चारों शाम को इकट्ठे मिले तो उन्होंने अपनी समस्या बताई।
रमेश ने विनय से पूछा यार तुम्हीं बताओ अपने माता जी पिताजी से क्या बात करूँ वो तो बहुत पीछे पड़े हैं जैसे शादी कोई खेल है। विनय ने जवाब दिया मेरे घर में भी यही बवाल है। क्योंकि मेरी बहिन गीता की भी शादी होनी है इसलिए वो मेरी शादी जल्दी कराना चाहते हैं। रमेश ने पूछा फिर क्या सोचा। कोई लड़की पसंद आई क्या। विनय ने कहा कि मुझे तो तेरी वाली ममता पसन्द आई है पर उससे कैसे कहूँ। वो बोलेगी कि सारा दिन तो शारदा के साथ बिताते हो अब मुझे कैसे पसंद किया। रमेश बोला यार मेरे साथ भी कुछ कुछ यही मन में चल रहा था पर तुमसे मैं कह नहीं पाया। चलो आज हम दोनों ही मिलकर अपने अपने इश्क का इज़हार उन दोनों के सामने कर देते हैं क्या पता हम दोनोँ भी उनकी पसन्द हैं या नहीं।
रमेश ने बहुत सकुचाते हुए शारदा से कहा - क्या तुम मेरे साथ शादी करना पसंद करोगी। मैंने इतने दिनों तक तुम्हारा व्यवहार देखकर ही तुमसे शादी करने का विचार बनाया है। तुम्हारी हाँ होने पर ही आगे बात चलाने के लिए घर वालों से बात होगी। शारदा बोली - रमेश तुमने तो मरे मन की बात कह दी जो मैं आज तक तुमसे अपने प्यार का इज़हार न कर पाई वो तुमने कर दिया। विनय ने अब ममता से पूछा क्या तुम मुझसे शादी करना पसन्द करोगी। ममता को भी विनय इन दिनों अच्छा लगने लगा था। उसने भी शर्माते हुए अपनी चाहत का इज़हार कर दिया - मैं भी तुम्हीं को अपनी पसंद बना चुकी थी पर सोचती थी कहीं तुम मुझे गलत न समझ बैठो कि मैं रमेश के साथ घूमती थी अब तुमको कैसे अपना बना लिया। खैर अब तो हम लोग इन दीवानों को बातें करने के लिए छोड़ देते हैं ताकि वो इत्मिनान से अपना इज़हार -ए -इश्क एक दूसरे से करें और फिर उनके घर वाली जल्दी ही इनकी शादी भी कर दें।
@मीना गुलियानी
अब इसका उल्टा हो गया शारदा को लगने लगा कि जैसे रमेश अब उसकी चाहत बनता जा रहा है उसकी लच्छेदार बातें सुनकर उसे अच्छा लगता था। ममता को अब शारदा से ईर्ष्या होने लगी थी उसको लगा कि वो दोनों पर डोरे डाल रही है। उधर विनय के घर वाले भी विनय पर जल्दी से कोई लड़की पसंद करने का दबाव डालने लगे ताकि उसकी शादी हो जाए तो फिर वो विनय की बहिन गीता की शादी भी करें। ममता भी असमंजस में थी। रमेश का ट्रांसफर आगरा हो गया था दो महीने के अन्दर उसे नया पद संभालना था उसकी प्रोमोशन हो गई थी। जब चारों शाम को इकट्ठे मिले तो उन्होंने अपनी समस्या बताई।
रमेश ने विनय से पूछा यार तुम्हीं बताओ अपने माता जी पिताजी से क्या बात करूँ वो तो बहुत पीछे पड़े हैं जैसे शादी कोई खेल है। विनय ने जवाब दिया मेरे घर में भी यही बवाल है। क्योंकि मेरी बहिन गीता की भी शादी होनी है इसलिए वो मेरी शादी जल्दी कराना चाहते हैं। रमेश ने पूछा फिर क्या सोचा। कोई लड़की पसंद आई क्या। विनय ने कहा कि मुझे तो तेरी वाली ममता पसन्द आई है पर उससे कैसे कहूँ। वो बोलेगी कि सारा दिन तो शारदा के साथ बिताते हो अब मुझे कैसे पसंद किया। रमेश बोला यार मेरे साथ भी कुछ कुछ यही मन में चल रहा था पर तुमसे मैं कह नहीं पाया। चलो आज हम दोनों ही मिलकर अपने अपने इश्क का इज़हार उन दोनों के सामने कर देते हैं क्या पता हम दोनोँ भी उनकी पसन्द हैं या नहीं।
रमेश ने बहुत सकुचाते हुए शारदा से कहा - क्या तुम मेरे साथ शादी करना पसंद करोगी। मैंने इतने दिनों तक तुम्हारा व्यवहार देखकर ही तुमसे शादी करने का विचार बनाया है। तुम्हारी हाँ होने पर ही आगे बात चलाने के लिए घर वालों से बात होगी। शारदा बोली - रमेश तुमने तो मरे मन की बात कह दी जो मैं आज तक तुमसे अपने प्यार का इज़हार न कर पाई वो तुमने कर दिया। विनय ने अब ममता से पूछा क्या तुम मुझसे शादी करना पसन्द करोगी। ममता को भी विनय इन दिनों अच्छा लगने लगा था। उसने भी शर्माते हुए अपनी चाहत का इज़हार कर दिया - मैं भी तुम्हीं को अपनी पसंद बना चुकी थी पर सोचती थी कहीं तुम मुझे गलत न समझ बैठो कि मैं रमेश के साथ घूमती थी अब तुमको कैसे अपना बना लिया। खैर अब तो हम लोग इन दीवानों को बातें करने के लिए छोड़ देते हैं ताकि वो इत्मिनान से अपना इज़हार -ए -इश्क एक दूसरे से करें और फिर उनके घर वाली जल्दी ही इनकी शादी भी कर दें।
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें