अपने बारे में ज्यादा क्या लिखूँ एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिल्ली में 1951 में मेरा जन्म हुआ। विवाह के बाद जयपुर में रहने लगी। मैंने हिन्दी साहित्य में एम ए किया। राजस्थान सरकार के तकनीकी शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अनुदेशिका पद पर कार्यरत रहने के उपरान्त 2009 को सेवानिवृत हुई।
समय समय पर मौका मिलने पर मैंने 5 पुस्तक (आध्यात्मिक), 3 पुस्तक (काव्य) तथा एक पुस्तक (छन्द अलंकार) से संबन्धित लिखीं। इस प्रकार अभी तक कुल 9 पुस्तकों को लिखा है। कविताएँ, भजन आदि लिखने का शौक बचपन से ही था।
मनुष्य के अंदर तरह तरह के भाव उत्पन्न होते हैं और कविता प्रत्येक मानव के भीतर भाव रूप में मौजूद है। । मैंने उन्हीं भावों को लिखने का प्रयास किया है। इसको पढ़ते हुए आप भाव विभोर हो जाएँ तो मेरा लिखना सार्थक हो जाएगा। कहते हैं जहाँ शब्दों की सीमाएँ समाप्त होती हैं वहीं से कविता आरम्भ होती है। कविताएँ पढ़ने में या बोलने में छोटी हो सकती हैं परन्तु इनका प्रभाव बेहद असरदार होता है। खासतौर से तब जब ये सहज और गहरे अर्थ लिए होती हैं। लेखक जब अपने मन के भावों को पाठकों तक उसी रूप में पहुँचा पाता है, तभी सही मायने में वो लेखक कहलाता है जहाँ उसके शब्दों के साथ पाठक भी साझीदार होते हैं।
इसके अतिरिक्त नवीन कदम साहित्य छत्तीसगढ़ से एक रचना पर सम्मान पत्र प्राप्त हुआ। इसके साथ ही
एक प्रशस्तिपत्र अल्फ़ाज़ से भी प्राप्त हुआ। स्टोरी मिरर में भी मेरी रचनाएँ प्रकाशित हुईं। पी एल एफ जयपुर के मंच पर अपनी कविता वाचन का एक बार सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुझे अच्छे मंच की तलाश रहती है जहाँ से मेरी कविता जन मानस तक पहुँच सके।
@मीना गुलियानी , जयपुर
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