आज तुम फिर अपने प्यार से
मेरी बगिया को महका दो
खिल जाएँ सब फूल यहाँ के
प्रेम सुधा इतनी बरसा दो
तन मन मोरा महक भी जाए
प्रेम का रस उस पर टपका दो
दिल का कोई कोना रहे न रीता
अमृत की बूँदें तुम ढलका दो
हो जाए ये धरा भी आनन्दित
गीत मधुर कोई ऐसा गा दो
हों खगवृन्द भी दीवानों से
दो घूँट इनको भी पिला दो
@मीना गुलियानी
मेरी बगिया को महका दो
खिल जाएँ सब फूल यहाँ के
प्रेम सुधा इतनी बरसा दो
तन मन मोरा महक भी जाए
प्रेम का रस उस पर टपका दो
दिल का कोई कोना रहे न रीता
अमृत की बूँदें तुम ढलका दो
हो जाए ये धरा भी आनन्दित
गीत मधुर कोई ऐसा गा दो
हों खगवृन्द भी दीवानों से
दो घूँट इनको भी पिला दो
@मीना गुलियानी
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