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रविवार, 10 मई 2020

माँ का सपना - कहानी

मेरी माँ ने हम सब भाई बहिनों को बड़े प्यार से पाला।  घर में मैं बड़ी थी मेरे बाद एक भाई फिर दो बहिनें हुईं।  मेरी दादी जी भी मुझे बहुत प्यार करती थी।   जब मैं छोटी थी तबसे माता जी को मैंने देवी जी की आराधना करते देखा था।   दिल्ली में झण्डेवाला मंदिर बहुत मशहूर है वहाँ पर अक्सर वो जाया करती थीं।   मैं भी उनके साथ जाती थी। उनको माता जी के भजन लिखने का भी चाव था और मुझे उनको गाने का।   मैं माता के जागरण में उनके साथ जब जाती थी तो कभी कभी एक दो भजन गा लेती थी।   उनका सपना था कि मैं बड़ी होकर अध्यापिका बनूँ।  इसके लिए उन्होंने मुझे तकनीकी शिक्षा विभाग से दो वर्ष का डिप्लोमा भी कराया। 
हालांकि हमारे घर की अर्थ व्यवस्था इतनी अच्छी नहीं थी पर मेरी माता जी ने बहुत परिश्रम से हम सभी को उच्च शिक्षा दिलवाई तथा सबको अपने पैरों पर खड़ा करने का  भरसक प्रयास किया।   हम सभी को नौकरी भी मिल गई और सबकी शादियाँ भी सादगी से सम्पन्न हो गईं।  उनके आशीर्वाद से मुझे अनुदेशिका की नौकरी भी मिल गई।   उन्होंने हम सबको संस्कार बहुत अच्छे दिए थे जो हमने  विरासत में अपने बच्चों को दिए।   सारा जीवन तो उन्होंने हमारे सपनों को भी पूरा करने भी बिताया।   आज मैं जो कुछ भी हूँ उन्हीं की बदौलत हूँ।  उन्हीं के प्रभाव में ही मुझे भी लिखने की प्रेरणा मिली तो मैं भी भजन , कविताएँ लिखने भी लगी।   उन्होंने अपना जीवन सादगी से बिताया वैसा ही हमने भी सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धान्तों को अपने जीवन में भी  उतारने का प्रयत्न  किया। वो पँजाबी के लोकगीत भी बहुत अच्छे गा लेती थी।   हमने हमेशा उनको मुस्कुराते हुए ही देखा चाहे कितने ही संकट आये उन्होंने बड़ी हिम्मत से घर को संभाला।   उनकी दी हुई सही सीख हमारे जीवन में काम आई और जब कभी जीवन की गाड़ी डगमगाने लगती तो उनके आदर्श सामने ढाल बन जाते थे।   दुनिया में माँ ही सबसे बड़ी है उनकी जगह और कोई नहीं ले सकता।  अब वो हमारे दिलों में ज़िंदा है और हमेशा रहेगी। ईश्वर से यही प्रार्थना है की सबको माँ की ममता का सुख दे जैसा हमें नसीब हुआ। 
@मीना गुलियानी 

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