बचपन में मुझे कच्चे आम खाने का बहुत शौक था। स्कूल से वापिस आते समय हम पाँच लड़कियों का ग्रुप जो एक ही मोहल्ले में रहते थे इकट्ठे आते थे। रास्ते में एक बाग़ था जिसमें कच्चे आम के बहुत से पेड़ थे। मेरी एक सहेली तो पेड़ पर चढ़ जाया करती थी। फिर एक एक करके सबको वो गिन गिन के बराबर कच्चे आम यानि कैरी दे दिया करती थी। जब कभी वो हमारे साथ नहीं होती थी तो हम पत्थर मार कर कच्चे आम तोड़ते थे। वो इतने स्वादिष्ट लगते थे कि पेड़ के पास पहुँचते ही हमारे मुँह में पानी आ जाता था। उस बाग़ में सिर्फ कच्चे आम के ही पेड़ थे उसके साथ के दूसरे बगीचे में अमरुद और पपीता के फल के पेड़ थे। लेकिन हम सब तो कैरी के शौकीन थे उधर नहीं जाते थे। हमारी माता जी गर्मियों में कैरी का पन्ना बनाकर पिलाती थी। कैरी की लौंजी भी पराँठे के साथ देती थी। खट्टे मीठे कैरी के अचार का तो स्वाद बहुत अच्छा लगता था।
एक दिन मैंने क़रीब 5 कैरी तोड़ी थी तो मैंने सोचा इनको घर ले जाकर अपनी माता जी को दूँगी वो खुश हो जायेंगी। बाकी सहेलियों ने भी ऐसा ही किया वो भी अपने अपने घर ले गईं। अब क्या था सबकी घर पर खूब खिंचाई हुई। अभी तक तो किसी को पता नहीं था कि हम लोग छुप छुप के चोरी करके कैरी तोड़कर रोज़ खाते थे। अब सबके घर वालों को खबर लग गई थी। सबने पहले तो डाँटा ये तो एक तरह से चोरी है और सबने एक अपराध किया है जिसका वो बगीचा है उसने कितनी मेहनत से इसे लगाया होगा तब जाके तीन चार साल के बाद फल आये होंगे जो आप सबने तोड़ दिए। सोचो उसको कितना बुरा लगा होगा कि उसने कितनी मेहनत की और फल तोड़कर कोई और ले गया। अगर वो माली आकर हमको बताता तो हमें और भी ज्यादा बुरा लगता। आज के बाद फिर कभी वहाँ से बिना माली काका के पूछे बगीचे से कैरी नहीं तोड़ोगे।
हम सबने उस दिन से कसम खा ली कि आगे से बिना माली काका की इजाज़त के हम कभी भी कैरी नहीं तोड़ेंगे। अगले दिन शाम को आते समय हमने देखा माली काका खड़े मुस्कुरा रहे थे शायद हमारे घर वालों ने भी उनसे कुछ कहा होगा यह तो हमारे मन का चोर बोल रहा था। माली काका चुप रहे हम बिना कैरी के जाने लगे तो उन्होंने सबके हाथों में एक एक कैरी खुद ही बड़े प्यार से थमा दी। हमने भी फिर खुद ही उनसे पिछले दिनों की कैरी की चोरी के लिए क्षमा मांगी। उन्होंने हम सबको प्यार से गले लगाया और बोले मैंने कैरी तोड़ते हुए तो आप लोगों देखा था पर बच्चा समझकर छोड़ दिया था। आज आप समझदार बच्चे बन चुके हो। आगे से भी ऐसे ही बिना किसी की इजाज़त किसी की कोई चीज़ मत लेना नहीं तो उसे चोरी माना जाता है फिर उसे दण्ड मिलता है।
@मीना गुलियानी
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