एक अरेंज्ड विवाह में मुझे शामिल होने का मौका मिला। आजकल इसका प्रचलन करीब 60 -70 प्रतिशत ही रह गया है। अधिकतर लोग प्रेम विवाह करते हैं या मैरेज ब्यूरो द्वारा करते हैं। अरेंज्ड विवाह में पुराने जमाने में तो यह काम नाई या पंडित लोग किया करते थे। वो वर पक्ष या कन्या पक्ष दोनों के लिए वर या वधू का प्रस्ताव लाते थे। घर के बड़े बुजुर्ग सभी सहमति देते थे तो जन्मपत्री का कुंडली का मिलान होता था। कुछ लोग पैसे भी पंडित जी को खिला देते थे ताकि वो जजमान से कहे कि 24 गुण मिल रहे हैं तो रिश्ता पक्का हो जाता था। फिर लड़का लड़की को दिखाने का प्रोग्राम होता था जो स्कूल परीक्षा की तरह होता था पास या फेल। उसके बाद सगाई पक्की होती थी फिर शादी का महूर्त निकाला जाता था। कुल मिलाकर पाँच या छः महीने का समय लग जाता था। आजकल पंडित जी ज्यादा समय नहीं लगाते हैं पहली बार में ही वो जन्मपत्री वर वधू आदि सब परिवार के सामने बुला लेते हैं फिर हाथों हाथ ही रिश्ता ओके कर दिया जाता है।
हमारे मित्र के साले का अरेंज्ड विवाह का निमन्त्रण पत्र प्राप्त हुआ था। हम वहाँ गए। अभी दूल्हे को तैयार करके घोड़ी पर बैठाना था फिर बैंड बाजा लेकर कन्या के घर जाना था। दूल्हे को सेहरा पहनाया गया ,शेरवानी पहनाई ,गले में रुपयों की मालाएँ भी डाल दीं। अब उसे घोड़ी पर बैठाकर पहले मंदिर ले जाया गया। उसके बाद सारे बाराती इकट्ठे होकर दूल्हे की घोड़ी के आगे बैंड की धुन पर नाचने लगे। इस समय तो जिसको नहीं भी आता वो भी थोड़ा हाथ पैर चला ही लेता है। कई परिवारों के लोग ऐसे समय में मदिरा पान भी करते हैं जो उचित नहीं है। अब 7 बजे के स्थान पर 9 बजे तक ही नाचते कूदते लोग दुल्हन के मंडप पहुँचते हैं। दूल्हे की आरती उसकी सास उतारती है और जीजा घोड़ी से नीचे उतारता है। फिर तो जलपान की व्यवस्था होती है तरह तरह के पकवानों के स्टॉल लगे होते हैं। उसके बाद खाना होता है। दूसरी तरफ दूल्हा दुल्हन की जयमाला होती है फिर वो भी खाना खाते हैं। कुछ बाराती घर चले जाते हैं और कुछ लोग पूरी शादी करवाकर डोली लेकर ही जाते हैं। हमने भी खाना खाया और फेरे चालू हो गए थे तो हम भी पुष्प वर्षा करने लगे।दुल्हन के पिता ने कन्यादान किया। दुल्हन की दूल्हे ने मांग भरी। फिर विदाई का समय आया। दुल्हन सभी से गले मिलकर रोई और उसे फिर दूल्हे की कार में बिठाकर कार को दूल्हे के घर के लिए रवाना किया।
घर पहुँचकर दूल्हे की माँ ने दोनों की आरती उतारी और दुल्हन का गृह प्रवेश हुआ। फिर कुछ पूजा हुई और एक परात में थोड़ा दूध , फूल और पानी डालकर उसमें एक अँगूठी डाली गई और दुल्हन और दूल्हे को कहा गया जो पहले अँगूठी खोज लेगा वो जीतेगा और वो ही पूरी जिंदगी भर हावी रहेगा। इस गेम में बहुत मज़ा आता है। अब शादी तो हो गई जो लोग दूर से आते हैं उन्हें मिठाई कपड़े आदि देकर विदा किया जाता है। सुबह दुल्हन का भाई बहिन के साथ घर पर दूल्हे के साथ फेरा लगाने आते हैं। इस प्रकार हमने भी अरेंज्ड विवाह का आनन्द लिया। इस तरह से शादी करने का बड़ा फ़ायदा यह भी है की दोनों परिवार वाले लोग शादी से पहले पूरी जाँच पड़ताल कर लेते हैं कहीं कुछ बात हो भी जाए तो आपसी रजामंदी से नतीजा सामने आ जाता है और संबंध टूटने से बच जाते हैं। प्रेम विवाह में तो तलाक जल्दी हो जाते हैं। कभी कभी सफल होते हैं।
@मीना गुलियानी
हमारे मित्र के साले का अरेंज्ड विवाह का निमन्त्रण पत्र प्राप्त हुआ था। हम वहाँ गए। अभी दूल्हे को तैयार करके घोड़ी पर बैठाना था फिर बैंड बाजा लेकर कन्या के घर जाना था। दूल्हे को सेहरा पहनाया गया ,शेरवानी पहनाई ,गले में रुपयों की मालाएँ भी डाल दीं। अब उसे घोड़ी पर बैठाकर पहले मंदिर ले जाया गया। उसके बाद सारे बाराती इकट्ठे होकर दूल्हे की घोड़ी के आगे बैंड की धुन पर नाचने लगे। इस समय तो जिसको नहीं भी आता वो भी थोड़ा हाथ पैर चला ही लेता है। कई परिवारों के लोग ऐसे समय में मदिरा पान भी करते हैं जो उचित नहीं है। अब 7 बजे के स्थान पर 9 बजे तक ही नाचते कूदते लोग दुल्हन के मंडप पहुँचते हैं। दूल्हे की आरती उसकी सास उतारती है और जीजा घोड़ी से नीचे उतारता है। फिर तो जलपान की व्यवस्था होती है तरह तरह के पकवानों के स्टॉल लगे होते हैं। उसके बाद खाना होता है। दूसरी तरफ दूल्हा दुल्हन की जयमाला होती है फिर वो भी खाना खाते हैं। कुछ बाराती घर चले जाते हैं और कुछ लोग पूरी शादी करवाकर डोली लेकर ही जाते हैं। हमने भी खाना खाया और फेरे चालू हो गए थे तो हम भी पुष्प वर्षा करने लगे।दुल्हन के पिता ने कन्यादान किया। दुल्हन की दूल्हे ने मांग भरी। फिर विदाई का समय आया। दुल्हन सभी से गले मिलकर रोई और उसे फिर दूल्हे की कार में बिठाकर कार को दूल्हे के घर के लिए रवाना किया।
घर पहुँचकर दूल्हे की माँ ने दोनों की आरती उतारी और दुल्हन का गृह प्रवेश हुआ। फिर कुछ पूजा हुई और एक परात में थोड़ा दूध , फूल और पानी डालकर उसमें एक अँगूठी डाली गई और दुल्हन और दूल्हे को कहा गया जो पहले अँगूठी खोज लेगा वो जीतेगा और वो ही पूरी जिंदगी भर हावी रहेगा। इस गेम में बहुत मज़ा आता है। अब शादी तो हो गई जो लोग दूर से आते हैं उन्हें मिठाई कपड़े आदि देकर विदा किया जाता है। सुबह दुल्हन का भाई बहिन के साथ घर पर दूल्हे के साथ फेरा लगाने आते हैं। इस प्रकार हमने भी अरेंज्ड विवाह का आनन्द लिया। इस तरह से शादी करने का बड़ा फ़ायदा यह भी है की दोनों परिवार वाले लोग शादी से पहले पूरी जाँच पड़ताल कर लेते हैं कहीं कुछ बात हो भी जाए तो आपसी रजामंदी से नतीजा सामने आ जाता है और संबंध टूटने से बच जाते हैं। प्रेम विवाह में तो तलाक जल्दी हो जाते हैं। कभी कभी सफल होते हैं।
@मीना गुलियानी
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